गीत मिलन का

एक अजीज मित्र, जिनके हमसफर दूर कॅरोना के लॉकडाउन में फंस गए है, न वो आ सकते है न ये जा सकते हैं उनको समर्पित पंक्तियां।


वो दिवस मिलन का आएगा, 
रात भी उनके संग होगी,
सब कह देंगी आंखें खुद ही,
बात न लब से कुछ होगी।

न तुम अहसास छुपाओगे,
न वो जज्बात बताएंगे,
सब कुछ खुद हो जाएगा,
बस नीर नयन बहाएंगे,

तुम उनके बिन कैसे तड़पे,
वो हालातो से कैसे संभले,
सब गम खुद ही बह बह कर,
दिल का सब हाल बताएंगे।

बस आज सखे ये थाम लो मन,
उनके आंसू भी जान लो मन,
तुम दुखी न हो, वो कहते नही,
पर ऐसा नही वो सहते नही।

सब मजबूरी कुछ हाथ नहीं,
है भाग्य यही तुम साथ नहीं,
पर प्रेम ने कब हारी है जंग
तन दूर मगर मन, पास वहीं।

ऐसे हालत न आये फिर,
पल भर को दूर न जाएं फिर,
एक बार मिलें साजन जो बस,
बाहों में उम्र बिताएं फिर।

ये मानो पल भर की दूरी,
जीवन का पाठ पढ़ाएगी,
हो प्रेम सुदृढ मन से मन का,
तन का अहसास मिटाएगी।

दुख के बदरा छट जाएंगे,
सुख पूनम से चढ़ आएंगे,
है अटल मिलन होगा अनुपम,
नव गीत मिलन के गायेंगे।

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