नारी शक्ति

कैद में रखकर मुझे न, ऐसे तो भगवान बनाओ,
हक जो मेरे दे मुझी को, ऐसे न अहसान जताओ,
दर्द जो मैंने सहे हैं, सहने की बस शक्ति मुझमे,
जान कर निर्बल मुझे न, अपनी शक्ति से डराओ।


खुद दिया मैंने जो तुमको, प्रेम का अधिकार वो था
कोमल थे मन भाव मेरे, प्रेम का आधार वो था,
तुम व्यर्थ ही दान मेरा, दमन का स्वीकार समझे,
चरणों में परमेश्वर खुद, मेरा तो संहार वो था।
तुच्छ है शक्ति प्रदर्शन, तुच्छता से बाज आओ।
जान कर निर्बल मुझे न, अपनी शक्ति से डराओ।


शिव ब्रह्मा हों या विष्णु, सब मेरी ही राह धरते,
मेरा ही एक नाम लेकर, राम के थे शर चलते,
मुझसे ही तो सारी शक्ति वो सुदर्शन पा रहा था,
मेरी ही आंचल में सारे, शक्ति के थे धाम पलते,
व्यर्थ मिटा देने की मुझको, इच्छा न मन में सजाओ
जान कर निर्बल मुझे न, अपनी शक्ति से डराओ।


कैद में रखकर मुझे न, ऐसे तो भगवान बनाओ,
हक जो मेरे दे मुझी को, ऐसे न अहसान जताओ।


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