ये जीवन है (भाग 10-12)

अब तक के भाग में अपने पढ़ा कि रवि घर के पास ही रहने वाली शांति जी से उनके बेटे के बारे में पूछता है। वो अपनी कहानी में बताती हैं कि नेहा को डॉल मिलती है और वो अपने दोस्तों से दूर हो जाती है। अब आगे....

वो डॉल बड़ी अजीब सी थी। जब से वो डॉल आयी थी नेहा बदल सी गई थी वो बिल्कुल अकेले अकेले रहने लगी, सबसे अलग। राहुल से भी दूर सी हो गई थी। घर भी आती तो अकेले रहती। उसका चहकना, चुलबुलापन, हंसना सब जैसे कहीं खो गया था। बस वो उस डॉल से खेलती वो भी अकेले में, किसी को हाथ भी न लगाने देती थी। सबने उसको कहा कि इसको छोडनकर अपने दोस्तों के साथ खेलो, लेकिन जैसे इन बातों का उसपर असर नहीं हो रहा था या वो ये बात सुन ही नहीं रही थी। राहुल ने कितनी बार नेहा को समझाया लेकिन वो उससे लड़कर भाग जाती। उसकी आंखें अचानक से अजीब सी लाल हो जाती थीं। राहुल भी बहुत परेशान हो गया। आखिर कोई दोस्त एकदम से ऐसे करे तो बच्चे तो उदास हो ही जाते हैं। बच्चों के पूरी दुनिया आखिर माँ बाप और दोस्त ही तो होते हैं और नेहा तो उसकी सबसे प्यारी दोस्त थी। उसी की क्यों वो सबकी दुलारी थी। बाकी बच्चे भी परेशान थे लेकिन राहुल का मन तो नेहा के साथ खेलना चाहता था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वो नेहा है ही नहीं, या वो किसी और ही दुनिया में रहने लगी थी।

एक दिन जब सब बच्चे पार्क में खेल रहे थे। हमेशा की तरह नेहा सबसे अलग दूर पेड़ के नीचे बैठी रस्सी से झूला बना कर डॉल को झूला झूला रही थी। अचानक ही जोर से आंधी चलने लगी। मौसम बिल्कुल साफ था फिर भी आंधी एकदम से आई थी। सब इधर उधर भागने लगे और भाग कर बिल्डिंग के नीचे पार्किंग में आ गए। सबने नेहा को ढूंढा  लेकिन नेहा वहां नहीं थी। सब उसको इधर उधर ढूंढ रहे थे तभी कुछ बच्चों ने देखा कि नेहा के हाथ उसी रस्सी से बंधे हुए हैं जिससे वो डॉल को झूला झुला रही थी। अचानक वो हवा में उड़ने लगी और जाकर एक पेड़ पर अटक गई। सब बच्चे उसी ओर भागे। बिल्डिंग का चौकीदार भी उनके पीछे भागता आया। जब तक सब वहां पहुँचते तब तक राहुल, मोहन और अजय ने नेहा को पेड़ पर से उतार लिया था। लेकिन नेहा को जैसे कुछ पता ही नहीं था कि उसके साथ क्या हुआ। राहुल ने देखा कि डॉल अजीब सी हरकत कर रही है। जैसे उसके होंठ हिल रहे थे और वो नेहा के कानो के पास आकर नेहा को कुछ बोल रही हो। राहुल बहुत डर गया किसी अनहोनी के डर से और अपनी सबसे प्यारी दोस्त को बचाने के लिए उसने झट से नेहा के हाथों से उस डॉल को छीन कर दूर फेंक दिया।

गुड़िया के नेहा से दूर जाते ही वो जैसे अचानक होश में आ गई। उसके हाथों में दर्द होने लगा था और वो रोने लगी। लेकिन उसको कुछ याद नहीं था उसके साथ क्या हुआ। अब वो लगभग नार्मल लग रही थी। उसकी वो डॉल वाली जिद्द भी खत्म सी हो गई थी। चौकीदार अंकल उसको उसके घर ले गए। जब राहुल उस गुड़िया को दूर फैंक रहा था तो एक पल को उसको ऐसा लगा कि आखों के आगे कुछ चल रहा है। उसको कुछ चीजें आंखों के सामने दिखने लगी। वो अचानक चौंक गया और कुछ देर बिल्कुल स्तब्ध सा खड़ा रह गया उसका चेहरा पीला पड़ गया था उस का पूरा बदन पसीने से भीग गया था। मोहन और अजय ने उसको हिलाया तो उसको होश आया। उसने डरते हुए गुड़िया को फिर से उठाया और उसको कंपाउंड के बाहर ले जाकर गड्ढा खोदकर उस गुड्डे को दबा दिया। मोहन और अजय उसके साथ ही थे। 

राहुल बुरी तरह डरा हुआ था। उसका हाल ऐसा था जैसे उसने उन कुछ पलों में कोई डरावनी फ़िल्म देख ली हो।उसको समझ नहीं आ रहा था क्या करे किसको बताए कि क्या हुआ और उसने क्या देखा है। मोहन और अजय ने उससे बार बार पूछा लेकिन वो उनसे कुछ कह नहीं पा रहा था उसका गला सूखने लगा, वो दोनों उस को उसके घर लेकर जाने लगे। तब तक पूरी सोसायटी में सबको नेहा के बारे में पता चल गया था। सब जमा हो गए थे। उन सबने तीनो बच्चों की बहुत तरीफ की। लेकिन राहुल की हालत बहुत खराब थी। सबको लगा कि बच्चा है डर गया होगा ऐसे हादसे से। लेकिन किसी को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर नेहा उड़ी कैसे। सब अलग अलग बात कर रहे थे। तभी राहुल के पापा वहां आ गए और राहुल वो राहुल को घर ले आये। 

राहुल बहुत डर गया था मम्मी पापा ने उसको आराम से सुला दिया। मम्मी उसके पास ही बैठी थी अचानक राहुल ने सपने में वही सब फिर से देखा लेकिन इस बार उसको सब साफ साफ दिख रहा था। वो चौंक कर उठ गया और रोने लगा। राहुल के मम्मी पापा बहुत परेशान हो गए। उन्होंने बड़े प्यार से राहुल से पूछा तो उसने उसको सारी बात बताई की कैसे नेहा पेड़ पर अटक गई थी उसको कैसे नीचे उतारा और जब उसने उस गुड़िया को दूर फैंका तो उसको जो दिखाई दिया वही फिर से सपने में आया। 

'नेहा, मोहन अजय सबको बचा लो। वो सब मर जायेंगें। प्लीज् बचा लो।' राहुल तेज चिल्लाने लगा।

'किसी को कुछ नहीं होगा बेटा आप डर गए हो, सपना देखा है डरावना बस, और कुछ नहीं है' राहुल के पापा और मैंने उसको बहुत समझाया। लेकिन वो शांत ही नहीं हो पा रहा था। हम उसको डॉक्टर के यहां ले गए। उसने कुछ दवाएं दी और कहा कि राहुल को शॉक लगा है। अचानक सब होने से बहुत डर गया है। दवाएं खा कर ठीक हो जाएगा। 

कुछ ही दिनों बाद अचानक खबर मिली कि नेहा के पापा की कार का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया है और उसमें पूरा परिवार मारा गया। ये खबर सुनकर पूरी सोसायटी स्तब्ध रह गई। इतना अच्छा परिवार और इतने अच्छे लोग और इतनी प्यारी बच्ची। पूरी सोसायटी में मातम छा गया। राहुल की हालत फिर से खराब हो गई। 

क्रमशः


अब तक के भाग में अपने पढ़ा कि शांति जी बेटे राहुल के हाल के बारे में रवि को बताती है कि राहुल की दोस्त नेहा गुड़िया पा कर सबको भूल जाती है, एक दिन हालातवश राहुल उस गुड़िया को फेंक देता है लेकिन उसको हाथ गाते ही राहुल डर जाता है और उसे कुछ ऐसा दिखता है और वो सच भी हो जाता है नेहा की पूरी फैमली मारी जाती है। अब आगे....

अचानक नेहा और उसके परिवार के एक्सीडेंट की खबर से पूरी सोसायटी के लोग बहुत ज्यादा शोक में चली गई थी। सभी नेहा से बहुत घुले मिले थे, खासतौर पर हम लोग तो उसके बहुत करीब थे। हमारी तो जैसे अपनी बेटी थी वो। और एक माँ के लिए किसी बच्चे का इस तरह से जाना क्या मायने रखता है उसको शब्दों में नहीं कहा जा सकता। बच्चे जो नेहा के सबसे अच्छे दोस्त थे वो सब तो बहुत ज्यादा शॉक में थे। राहुल की हालत तो और ज्यादा खराब हो गई थी। 

'पापा मैंने कहा था न उनको बचा लो। मैंने कहा था न।' बोलते हुए राहुल रोने लगा। वो बार बार ऐसे बोलते हुए बेहोश हो गया। उसकी सुधरती हालत फिर से बिगड़ गई थी। इतनी ज्यादा खराब हालत हुई कि उसको हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ा। वहां एक मानसिक रोग विशेषज्ञ ने उसका इलाज किया। क्योंकि राहुल को कोई शारीरिक परेशानी नहीं था। बस वो मानसिक शॉक में था और नेहा की मौत ने उसे जैसे दुनिया से अलग ही कर दिया था उसे अपने उस सपने पर पूरा यकीन हो गया था। अस्पताल में डॉक्टर ने उसकी काउंसिलिंग शुरू की। डॉक्टरों ने काउंसिलिंग में दौरान राहुल से बार-बार बात करने का प्रयास किया कि वो बताए कि उसे क्या हुआ था आखिर उसने देखा क्या था। क्योंकि उसके बिना उसका इलाज संभव ही नहीं। क्योंकि शरीर की चोटों का पता लगाने के लिए हजारों तरीके हैं लेकिन मन पर लगी चोट का पता लगाने के लिए मेडिकल साइंस के पास कोई उपाय नहीं है। बस एक ही तरीका है कि व्यक्ति खुद बताए या उसके कोई करीबी उसके साथ जो हुआ वो बताए। 

डॉक्टरों ने राहुल को पूरी तरह भरोसे में लिया और उससे पता लगाने के लिए बहुत मेहनत की। बहुत दिनों बाद राहुल ने बताया कि गुड़िया को उठाते ही उसने क्या क्या देखा था और उसके बाद अपने सपने में क्या क्या देखा था डॉ. को धीरे धीरे पूरी बात बताई। 

'जब उस गुड़िया को मैंने उठाया तो अचानक लगा कि सब दोस्त मुझसे दूर जा रहे हैं, किसी अंधेरे में... खोते जा रहे हैं। मैं बहुत डर गया था। लगा कि मेरा सब छीना जा रहा है।' बताते हुए उसका पूरा बदन डर के मारे बिल्कुल भींग गया था, उस की हालत उस दिन की तरह हो गई थी।

डॉक्टर ने उसे दवाई दी और सुला दिया। अगले दिन उन्होंने उस सपने के बारे में पूछा। राहुल ने डरते डरते बताना शुरू किया।

'मैंने उस दिन सपना देखा था कि नेहा और अंकल आंटी कहीं हिल स्टेशन घूमने गए हैं बहुत खूबसूरत जगह है। हर तरफ पहाड़ पहाड़। पहाड़ों से सफेद दूध जैसी निकलती नदी, दूर की पहाड़ी पर सफेद बर्फ की चादर। सब कुछ कितना अच्छा था। तभी अचानक नेहा का पैर फिसल जाता है और उसको बचाने के लिए पहले अंकल फिर आंटी भी फिसल कर पहाड़ी से नीचे गिर जाते हैं। और अगले दिन पुलिस उन तीनों को उठा कर लाती हैं। किसी जानवर ने उन तीनों की लाश को खाया होता है। इतना डरावना चेहरा। और....' राहुल फिर डर से कांपने लगा था।

'और क्या बेटा' मैं यहीं हूँ तुम्हारे साथ। डरो मत बताओ' डॉ. ने उसके हाथ को हाथों में लेकर पूछा। ये एक वो बात थी जो सच हो चुकी थी। 

'उसके बाद सपने में देखा कि कहीं बहुत गहरा अंधेरा था चारो तरफ अजीब सी आवाजें आ रही थी, जैसे कोई जंगल हो और वहां रात को खूंखार जंगली जानवरों की आवाजें आ रही हों। लेकिन सब धुंधला सा था। तभी कहीं से अजय की चिल्लाने की आवाज आई। हम बच्चे उसके पीछे भागे। फिर अचानक देखा कि अजय एक बहुत गहरे गड्ढे में गिर गया और वो नीचे की तरफ खींचता जा रहा था। ऐसा लगा जैसे उसके पैर झाड़ियों से बांध रखे हों और वो उसको अंदर खींच रही हों। तभी मैंने देखा कि वो हवा में झूल रहा था उल्टा, तभी एक दम से झाड़ियां खुल गईं। जोर से चीखने की आवाज आई, हम सब कुछ समझ पाते तभी नीचे से आग का एक गुबार उठा। उसी के बाद मेरी आँख खुल गई।' राहुल जोर डॉ से लिपट गया और रोने लगा।

मैं ये सब सुन कर हैरान थी आखिर इस छोटे से बच्चे पर क्या बीत रही होगी। ऊपर से जब नेहा की खबर सुनी होगी तो उसने तो सपने से उसको जोड़ा होगा और जो भयानक सपना देखा और उसका सच हो जाना। कैसा लगा होगा जब सपना सामने से सच हो गया और अब ये डर भी की अजय को कुछ न हो जाये। मैं तो जैसे जम गई थी और इसके पापा भी बहुत परेशान हो गए थे ये सब सुनकर। इतना बताने के बाद उसकी हालत नहीं थी कुछ बोलने की डॉ को भी लगा शायद इतना ही होगा तो उसे दवाई दे कर सुला देने को कहा।

हम दोनों डॉ के पीछे पीछे उसके केबिन में पहुंच गए। हम कुछ बोलते इससे पहले ही डॉ. समझ गए थे कि हम क्यों आये हैं। डॉ. ने हम दोनों को देखकर बैठने के लिए बोला।

'देखिये राहुल को बहुत ज्यादा शॉक लगा है हमे शायद पूरी बात पता लग गई है। वो सपना और उसके बाद नेहा और उसके फैमिली की मौत से सपना आधा सच हो गया है। नेहा से उसका बहुत लगाव था और उसपर से अजय की मौत भी देखी है उसने। अब उसका डर है कहीं अजय भी तो...।' डॉ. शायद आगे बोलना नहीं चाह रहे थे इसलिए चुप हो गए।

'लेकिन डॉ. उसने जब भी जिक्र किया और आखरी बार जब नेहा की खबर पर वो बेहोश हुआ था तब भी वो अजय के साथ मोहन को बचाने की बात भी कह रहा था।' राहुल के पापा को अचानक ये बात याद आई तो उन्होंने डॉ. को बताया।

'क्या सच मे? मतलब अभी और भी बात है उसके मन में। इतना ज्यादा शॉक उसे इसीलिए लगा है शायद। अब तो वो सो गया। उससे आगे कल बात करते हैं।' डॉ. थोड़ा चिंतित दिखे, क्योंकि शायद कॉम्प्लिकेशन और ज्यादा बढ़ सकती थी, उनको डर था कहीं कोई और शॉक लगा तो राहुल की हालत और खराब हो सकती है और रिकवरी और मुश्किल।

'राहुल ठीक हो जाएगा न? वो कब ठीक होगा? आप उसको ठीक कर दीजिए कुछ भी करके।' एक माँ ने आंखों में आंसू भर कर डॉ. के आगे झोली फैला दी। 

'ठीक हो जाएगा लेकिन पहले पूरी बात पता करनी होगी और उसको यकीन दिलाना होगा कि वो सिर्फ सपना था। और नेहा के साथ जो हुआ वो सिर्फ दुर्घटना थी उसका इस सपने से कोई वास्ता नही वो सिर्फ संयोग था। इसमें दवाई के साथ-साथ माहौल का भी असर होता है। आप सब का साथ चाहिए उसको, आपका उसके दोस्तों का सबका। छोटा बच्चा है इसलिए मन पर लगी चोट ज्यादा असर करती है। टाइम का तो पता नहीं लग सकता कब तक ठीक होगा लेकिन भगवान ने चाहा तो उसकी तबियत जल्दी ठीक होने लगेगी। आप उसे कहीं बाहर ले जाइयेगा ताकि कुछ चेंज हो।' डॉ. ने हौसला बढ़ाते हुए कहा।

क्रमशः


12
अब तक के भाग में अपने पढ़ा कि शांति जी बेटे राहुल के हाल के बारे में रवि को बताती है कि नेहा के बाद राहुल की तबियत ज्यादा खराब हो जाती है और डॉक्टरों को वो अपना सपना बताता है जिसमे नेहा के बाद अजय की मौत भी देखी होती है। लेकिन सबको लगता है कि ये इतेफाक रहा होगा। अब आगे....
 
हम कर भी क्या सकते थे सिर्फ भगवान से प्रार्थना करने के अलावा। मन उसके हालात को देखकर समझकर रोये जा रहा था। इसके साथ ही अभी भी उसके मन में कुछ और भी बातें है जो हमको अभी तक नहीं पता। आखिर ऐसा मेरे बेटे के साथ ही क्यों? इसकी तबियत इतनी खराब होने का कारण ये सपना ही है या वो गुड़िया है जिसको हाथ में लेते ही उसने सब देखा था। कहीं कुछ और बात तो नहीं जो डॉक्टर के बस से बाहर की बात हो। कहीं कोई .... मन अजीब बातें सोच रहा था। अपने बच्चे की ऐसी हालत देख कर भले विश्वास हो या न हो लेकिन मन को लगता है क्या पता इससे ठीक हो जाये। माता पिता का दिल दिमाग उस समय अंधविश्वास या विश्वास किसी पर भी यकीन करने को मजबूर होता है भले उसमे कोई लॉजिक हो या न हो। हमारे मन किसी तांत्रिक, पंडित से मिलने के बारे में विचार करने लगा लेकिन राहुल कल आगे क्या बताता है आगे क्या होता है उसके बाद ही कुछ किया जा सकेगा। ये सोच कर हम भी मन को समझने लगे कि सब ठीक हो जाएगा।

जब से राहुल की हालत ऐसी हुई थी उसी दिन से हमारी रातों की नींद तो उड़ ही गई थी लेकिन आज उसकी बातों को सुनकर मन बैचैन हो रहा था। अगले दिन राहुल थोड़ा शांत दिख रहा था। मन की बात किसी को बता देने से कुछ तो बोझ हल्का होता ही है राहुल को भी शायद ऐसा ही महसूस हो रहा था। डॉ. आये और राहुल का चेकअप किया। सपने तो कुछ नहीं था न? डॉक्टर ने इधर उधर की बातें करते हुए पूछ लिया। 

'मोहन, मोहन को भी देखा था मैंने, अजय के सपने आने पर डर से मेरी आँख खुल गई थी। मम्मी ने पानी पिला कर सुलाया तो जैसे वही सपना आगे शुरू हो गया था। मैं डर रहा था। तभी देखा बहुत तेज़  आंधी आई थी, हर तरफ अफरातफरी मच गई थी। तभी बड़ी तेज आवाज हुई और एक बड़ा पेड़ मोहन पर आ गिरा। वो पेड़ बहुत भारी था और मैं कुछ कर पाता उससे पहले ही.... राहुल बोलता हुआ रुक गया। फिर कुछ ही देर में डॉ से पूछा। क्या अजय और मोहन भी नेहा की तरह मर जायेंगे? राहुल की आंखों में डर भी था आंसू भी।

'नहीं सपना कभी सच नहीं होता। कुछ नहीं होगा। जो हुआ वो बस एक्सीडेंट था। हर बात सच नहीं होती बेटा।' डॉक्टर ने राहुल के सर पर हाथ फेरते हुए समझाया। राहुल का मन हल्का तो हुआ था लेकिन उसके मन कल जो चोट लगी थी वो धीरे धीरे ही भरनी थी। दो दिन बाद अस्पताल से उसको छुट्टी मिल गई थी। उसके बाद भी उसकी दवाइयां चल रही थी जिससे वो धीरे धीरे ठीक हो रहा था। हम सभी कुछ दिन के लिए शिमला भी होकर आए। वापस आने पर राहुल ने थोड़ा बहुत दोस्तों के साथ खेलना भी शुरू कर दिया था। उसकी दवाइयां निरंतर चालू थीं। करीब 2 महीने बाद.....। शांति जी बोलते हुए अचानक चुप हो गईं।

'क्या हुआ 2 महीने बाद।' रवि ने शांति जी को परेशान देखकर पूछा।

'बस राहुल का और हमारा बुरा वक्त फिर सामने आ गया था। उस दिन रविवार का दिन था। अधिकतर लोगों की छुट्टी थी। सोसायटी के पार्क में बच्चे खेल रहे थे अचानक खेलते हुए बॉल बाहर चली गई तो अजय उसको लेने चला गया सब कुछ बिल्कुल ठीक था। सब बच्चे वहीं गेट पर थे। रोड पूरी तरह से खाली थी। चौकीदार गेट पर बैठा  था और बॉल भी वहीं किनारे पर ही थी न की सड़क पर। अचानक उसके बगल में एक तेज गति कार आकर रुकी और...।' शांति जी फिर से चुप हो गईं।

'क्या हुआ, किसी ने अजय को किडनेप कर लिया क्या?' रवि ने चौंकते हुए पूछा।

'नहीं अचानक वो कार पूरी तरह जमीन में समा गई। साथ में अजय भी उसी गहरे गड्ढे की चपेट में आ गया था। जब तक कोई कुछ समझ पाता सब खत्म हो गया। वहां करीब बीस फ़ीट बड़ा गड्ढा हो गया था जो करीब पच्चीस तीस फ़ीट गहरा था। अचानक से हुए हादसे के बाद खबर मिलने पर फायर बिग्रेड, पुलिस एम्बुलेंस के साथ साथ हमारी सोसायटी के सभी लोग के बाहर आ गए। सोसायटी के बाहर भारी भीड़ हो गई थी। अजय के परिवार का बुरा हाल था सिर्फ उन्हीं का क्यों पूरो सोसायटी फिर से सदमे में थी। कुछ ही महीनों में फिर से। गहरे गड्ढे के अंदर कार में सवार व्यक्ति और अजय दोनो ही नही बच पाए। राहुल के आंखों के सामने ये घटना हुई थी तो वो फिर से गहरे शॉक में आ गया था। उसकी तबियत फिर से खराब हो गई। सीसीटीवी से देखकर पता लगा कि अगर अजय दो कदम आगे होता या कर दो-तीन  सेकेंड बाद आयी होती तो शायद अजय बच जाता। पूरी सोसायटी में ये बात होने लगी कि यहां कुछ तो बुरा है। सब को डर लग रहा था कि कुछ समय पहले नेहा और उसका परिवार और अब अजय। सबको यहां किसी ऊपरी ताकत का प्रभाव लग रहा था। राहुल के डॉ भी अचंभित थे क्योंकि राहुल ने अजय के लिए जो सपना देखा वो भी लगभग नेहा के सपने की तरह ही सच हो गया था। अब उनको डर था कि राहुल पर इसका बहुत बुरा असर न पड़ जाये। राहुल बिल्कुल चुप हो गया था इससे डॉक्टर और हमारी चिंता बहुत बढ़ गई थी। 

इधर इस घटना की जांच कर लिए बहुत से स्पेशलिस्ट आये। जांच से पता चला कि ये एक छोटा सिंक होल है। शायद पानी के लगातार रिसने या भूमिगत चट्टानों के पानी मे घुल जाने से ऐसे गहरे गड्ढो का निर्माण हुआ होगा, क्योंकि यहां न तो कोई नाला था और न ही कोई अंडरग्राउंड सुरंग थी, इसलिए इस तरह होल किसी प्राकृतिक कारण से ही बना होगा। वैसे तो सिंकहोल ऐसी जगहों पर आसानी से बन जाते हैं जहां जमीन के नीचे लाइमस्टोन, कार्बोनेट चट्टान, सॉल्ट बेड या ऐसी जल्दी घुलने वाली चट्टानों हों जो भूमिगत या रिसने वाले पानी के सर्कुलेशन की वजह से घुल जाती हों। चट्टान के घुलने से नीचे जगह बन जाती है। सबसे खतरनाक बात तो तब होती है जब इनके ऊपर की जमीन इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सही-सलामत रहती है। नीचे खाली जगह बन जाती है और वो धीरे फैलती जाती है। जब यह खाली जगह बहुत ज्यादा बड़ी हो जाती है या जब ऊपर की जमीन अपने वजन को झेल नही पाती, तब जमीन एकदम से ढह जाती है। इस वजह से सिंकहोल कभी भी, कहीं भी बन जाते हैं। 

इस घटना के बाद पूरे एरिया का निरीक्षण किया गया लेकिन कहीं भी कुछ नहीं निकला था। किसी भी जगह ऐसे किसी सिंक होल के कोई निशान नहीं मिल पाए थे। तो क्या सिर्फ एक ही सिंक होल था? क्या ये सिंक होल था या कुछ और?  इन कुछ सवालों ने पूरी सोसायटी की नींद उड़ा दी थी।

क्रमशः

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