एक खत- अनजाने भाई के नाम
मेरे प्यारे भाई,
मुझे तुम्हारी कितनी जरूरत थी, कितनी जरूरत है ये शब्दों में आ जाये, ये संभव ही नही। तुम नही जानते कि एक बहन के दिल के अरमान क्या होते हैं। काश तुम मेरे छोटे भाई होते तो हमेशा तुमसे लड़ती लेकिन बहुत प्यार भी करती। तुम होते तो हर साल इस दिन मेरी आंखों से ये अरमान पानी बनकर नही निकलते। पूरे घर मे खूब हंगामा होता। किसी से लड़ना मेरा ऐसा अधिकार होता जिसको दुनिया की कोई ताकत नही छीन पाती। काश तुम मेरे बड़े भाई होते तो बहुत लाडली होती, खूब नखरे करती, खूब फायदा उठाती तुम्हारा, अपनी गलती पर तुम्हारा नाम लेकर बच जाती। पड़ौस में जब दोनों भाई बहन लड़ते हैं और दोनों मम्मी पापा से डांट खाते हैं तो तुम्हारी बहुत याद आती है। लेकिन, सोच कर क्या फायदा। तुम नहीं हो, तो नहीं हो। शायद मेरी आंखें हर साल इस दिन भीगने के लिए ही बनी है। अब क्या हो सकता है। जो है वो बदल नही सकता न।
हे मुरलीधर, तुमने क्या समझा तुमने भाई नहीं दिया तो मैं हार जाऊंगी। याद है न वो राखी का दिन जिस दिन रोते हुए देखकर पता नही क्यों तुमको ही राखी बांध दी थी। अब तुम बचकर दिखाओ मुझसे। अब मुझे छोड़कर कहाँ जाओगे तुम, आखिर तुमको हर साल मेरे पास तो आना ही होगा।
आंखों में आशा के मोती लिए
एक बहन
~नीलू
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