कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया, मुरली बजैया,
ओ गोपियन के रास रसैया,
ओ मनमोहन, कान्हा प्यारे,
पीड़ बड़ी हरो कष्ट हमारे।
युग बीते पर तुम न आये,
गीता में थे वचन सुनाए।
मैं आऊं जब पाप बढ़ेगा,
दानवता का ताप चढ़ेगा।
मानवता संताप करेगी,
विपदा जब भक्तो पर पड़ेगी।
क्या अब भी कुछ कमी है बोलो,
रोती सृष्टि आंखें खोलो।
कब से आंखें तरस रहीं हैं,
प्राणों की ज्योति सिमट रही है।
आ भी जाओ दर्श दिखाओ,
पाप हरो हमे सत्य दिखाओ।
बहुत बढ़े प्रभु पाप हमारे,
पीड़ बड़ी हरो कष्ट हमारे।
पीड़ बड़ी हरो कष्ट हमारे।
~नीलू
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