मेरा दिन तुम्हारी रात ~नीलू

कहना है तुमसे बहुत कुछ, 
लेकिन क्या करूँ,
जब मेरा दिन होता है,
तुम्हारी रात होती है।

दिल मे बहुत सी बातें हैं,
सोचती हूँ पल भर साथ बैठूँ,
पर क्या करूँ,
जब मेरा दिन होता है
तुम्हारी रात होती है।

सोचती हूँ तुमसे,
घण्टों बातें करती रहूं,
पर कब तुम्हारे पास मेरी,
बातों के लिए टाइम होता है,
अकेले खुद से बातें कर लेती हूँ, क्योंकि,
तुम्हारे पास मेरे लिए वक़्त ही कहाँ है,
क्योंकि, जब मेरा दिन होता है
तुम्हारी रात होती है।

सोचती हूँ बिताऊं छुट्टी वाला,
पूरा दिन तुम्हारे साथ,
मगर वो दिन भी तो तुम्हारी रात होती है।
लिखना चाहती हूं बहुत कुछ,
पर क्या करूँ,
तुमसे मेरा लिखा भी पढ़ा नही जाता ,
शायद किसी और का लिखा भाने लगा है,
क्योंकि, जब मेरा दिन होता है
तुम्हारी रात होती है।

सोचती हूँ, छोड़ दूं तुम्हारा साथ,
पर मेरे सिवाय कोई संभाल भी तो नही सकता तुम्हें,
दिल रोता है बहुत,
अकेले में दिल शोर करता है,
तुम्हीं से बात करने को,
दिल को समझा लेती हूँ कि अभी तो,
मेरा दिन है, और तुम्हारी रात है

नीलू


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