G गॉड

एक बार नारद जी भगवान विष्णु की शरण मे गए नारायण, नारायण
प्रभु जैसा कि आपने गीता में कहा था कि ईश्वर
सर्वव्यापी है।
सर्वत्र है।
सर्वज्ञ है।
सर्वशक्तिमान है।
हज़ारो आंखे है जिसके।
हज़ारो हाथ है जिसके।
हज़ारो मस्तिष्क है।
अजर है
अमर है
देश समाज की सीमाओं के परे है।
जन्म मृत्यु से परे है
अज्ञानता जिसका कुछ नही बिगाड़ सकती।
जिसको जाना भी नही जा सकता।
जिसको बांधा नही जा सकता।
सब जिसको समझते है कि मैं जानता हूँ लेकिन कोई नही जानता।
जिसको सब समझते है मैं नही जानता वही जानता है।
जी गुणों से भरा है।
जो निर्गुण भी है।
जो साकार है।
जो निराकार भी है।
जिसके हज़ारो रूप है,
उसको कोई देख नही सकता। लेकिन वो सबमें व्याप्त है।
प्रभु आपने कहा था कि आप सबको उसके भाव अनुसार मिलते हो "जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखहीं टिन तैसी" तो क्या आप उसी प्रकार कलयुग में क्या मानव के साथ आप नही होंगे?
मानव कलयुग से अकेला कैसे लड़ पायेगा?
अरे नारद इतने सवाल। मुझे मालूम है मानव मात्र की भलाई के लिए तुम सदा चिंतित रहते हो यही ये बताता है कि तुम कितने सहृदय हो। भगवान ने नारद जी को रोकते हुए कहा।
प्रभु मानव के कल्याण का क्या उपाय होगा।
हे नारद! तुम व्यर्थ व्यथित हो रहे हो। कलयुग में मानव मेरी प्रेरणा से स्वयं भगवान की रचना कर लेगा। जो उसको सर्व दुख से बचा लेगा। वो मेरा ही अवतार होगा लेकिन ये अवतार अलग तरह का होगा। मानव अपने समस्त दुखो का उपचार उससे पा लेंगे। 
वो सर्वव्यापी होगा।
सर्वत्र होगा
सर्वज्ञ होगा
धीरे धीरे मानव उसे सर्वशक्तिमान बना देगा
हज़ारो आंखों से वो संसार को हर पल देखेगा,
हज़ारो हाथ से सबको महसूस करेगा।
हज़ारो मस्तिष्क से वो संसार को नियंत्रित करेगा।
जो अजर होगा
अमर होगा
देश समाज की सीमाओं के परे होगा
जन्म मृत्यु से भी परे होगा।
अज्ञानता जिसका कुछ नही बिगाड़ सकती।
जिसको सम्पूर्ण जाना भी नही जा सकेगा
जिसको कभी बांधा भी नही जा सकेगा
सब जिसको समझते है कि मैं जानता हूँ लेकिन कोई नही जान पायेगा
जिसको सब समझते है मैं नही जानता वही इसको जान लेगा।
जो गुणों से भरा होगा
जो निर्गुण भी होगा
जो साकार दिखेगा
लेकिन निराकार ही होगा।
जिसके हज़ारो रूप होंगे
उसको कोई देख नही पायेगा। लेकिन वो सबमें व्याप्त रहेगा। हे नारद ये वो रूप होगा जिसका  जिसको पाने के बाद मानव इसपर पूर्णतया आश्रित हो जाएगा। अपने छोटे छोटे कार्य भी इसी से पूर्ण करवाएगा। 
नारद तुमको पता है न भक्त मेरे सहस्त्रणाम को कंठस्थ रखते है, गीता, रामायण, सब वेद पुराण कंठस्थ याद होते है लेकिन इस के बाद लोग 2 और 2 के चार होने का प्रमाण भी इसी से लेंगे। मां बच्चे को भूख लगी है या नही ये भी इसी से पूछ कर निश्चित करेगी कि भूख लगने पर बच्चा कैसे रोता है। ब्राह्मणों का पूजा का अधिकार खत्म समझो क्योंकि ये कोई भी पूजा कही भी सभी विधिविधान से करवा देगा कि सब वेद पुराण भी इससे जलने लग सकते हैं। अधिकतर ज्ञान विज्ञान, मानव सभ्यता, ईश्वर और अन्य सभी के बारे में यही एकमात्र साधन होगा और कितना भी ज्ञानी क्यों न हो जिसको ये माध्यम पता नही होगा उसका ज्ञान सब जानते हुए भी शंका के घेरे में होगा। और जो सिर्फ इस को जान लेगा वो सर्वज्ञानी हुआ समझो। 
है नारद तुम तो जानते ही हो मेरा कितना प्रेम है मानव से। इसलिए समझ लो मैं ही अवतार ले रहा हूँ लेकिन इस बार मे सबके हाथ मे रहूंगा, घर मे रहूंगा, अभी तक जो मैं आत्मा में वास करता था अब हर जगह मैं ही वास करूँगा। 
नारद इस बार मेरे अवतार का नाम होगा गूगल। लोग मुझे गूगल बाबा, ज्ञान का भंडार, सर्वज्ञानी, जी-गॉड जैसे विभिन्न नामो से पुकारेंगे। मैं बच्चो के खेल से लेकर मानव की मृत्यु तक को नियंत्रित करूँगा। मेरे सिवा जीवन की कल्पना असंभव होगी। लोगो के मनवांछित सभी काम मैं स्वयं हो जाएंगे। 
क्षमा भगवन, अगर आप ही सब करोगे, सब आप इतना निर्भर होंगे तो मानव कर्म से विमुख हो जाएगा। आलसी हो जाएगा। उसका कोई उपाय बताइये।
हे नारद, मानव को अपने कर्मो का फल खुद ही भोगना है। ये कलयुग है। मैं अपने अवतार में सभी को कर्मयोगी होने की शिक्षा भी दूंगा, जो चाहेगा उसको प्रातः जगा भी दूंगा, सब याद भी दिलाता रहूंगा लेकिन, वो मेरे इस अवतार से अपने को कर्मयोगी बनाएगा या आलस्य का जामा बना कर पहन लेगा ये प्रत्येक मानव को खुद सोचना है। जो कर्मयोगी होंगे वो इसकी सहायता से आकाश छू लेंगे। जो आलस करेंगे वो रसातल में जाएंगे। बस मैं ये आश्वासन दूंगा की इस रूप में मैं सबका रहूंगा, सारा ज्ञान सबको मिलेगा किसी जाति, वर्ण का अधिकार नही होगा। मानव मात्र इससे लाभान्वित होकर अपने को उन्नति के मार्ग पर ले जाएगा या अवनति के कुमार्ग पर ये निर्णय मानव को लेना है

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