हंस लेने दो

दर्द छुपा लेंगे शायद,
हंस लेते है, हंस लेने दो।
है तोड़ यही बस दुनिया की,
गम पीकर बस हंस लेने दो।

सब बात करेंगे मंजिल की,
कोई साथ न देगा लेकिन,
जब ऊधरेंगी गम की परतें,
कोई हाथ न देगा लेकिन,
जग नोच न ले, ये पुष्प से स्वप्न,
परतों पर परत कस लेने दो।
बस दर्द छुपा लेंगे शायद,
हंस लेते है, हंस लेने दो।

सब दुनिया तुमसे बेहतर,
अहसास यही दे जाते,
नीचे गिरते को सब मिलकर,
फिर ठोकर एक लगाते,
है आज पड़ा पत्थर मुझको,
रूप नया रच लेने दो।
दर्द छुपा लेंगे शायद,
हंस लेते है, हंस लेने दो।

बेरंग स्वप्न की दुनिया तो,
कोई रंग ये जीवन क्यों चाहे?
सब चाह लुटे तो चाह नई,
नव स्वप्न सजाना क्यों चाहे?
फिर गीत नए, अरमान नए,
प्रतिमान नए, रच लेने दो।
बस दर्द छुपा लेंगे शायद,
हंस लेते है, हंस लेने दो।

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