वक़्त
कुछ पल में सारे रिश्ते,
बस टूट गए हैं छन्न से।
जब से लोगो ने जाना,
अब वक़्त बुरा है हमारा।
चाहत की सारी महफ़िल,
ख्वाबो में आ सिमटी है,
हां टूट गया हूँ लेकिन,
मैं मन से नही हूँ हारा।
पग चाहे या न चाहे,
हमको तो चलना होगा,
सपने सब सच करने को,
नियति से लड़ना होगा,
अब तक जितना टूटे पर,
फिर से अब बनना होगा,
नव पथ में हिम्मत का ही,
बस होगा एक सहारा,
हां टूट गया हूँ लेकिन,
मैं मन से नही हूँ हारा।
सच ये भी जीवन का है,
कल, आज न कल सा होगा,
पल भर में बदलेगा ये,
बदलाब अटल, सो होगा,
अब टूट रहे जो मुझसे,
कल नव जज्बात जुड़ेंगे,
फिर अम्बर में चमकेगा,
जो टूटा आज सितारा।
हां टूट गया हूँ लेकिन,
मैं मन से नही हूँ हारा।
Comments
Post a Comment