कान्हा आओ
किसी रूप में फिर तुम आओ
मानव पर उपकार करो।
शिशुपाल और कंस, दुर्योधन,
सब का फिर संहार करो।
गीता के हे पुण्य रचियेता,
भारत के हे महानायक,
मुरलीधर, ब्रिज के कान्हा,
सम्पूर्ण सृष्टि के हे पालक,
एक बस चीर हरण पर तुमने
वंश समूल संहार किया,
कंस को भी उसके ही,
कर्मो का उपहार दिया,
आज दमित होती फिर नारी,
कुछ तो तारणहार करो।
किसी रूप में फिर तुम आओ
मानव पर उपकार करो।
बस कलयुग में मानव ने,
अपनो पर प्रहार किया है,
दो पल जो थक कर के बैठा,
पीछे से ही वार किया है,
तुमने एक सुदामा के पग,
नयन नीर से धो डालें थे,
आज सुदामाओ का ही देखो,
मित्रों ने संहार किया है,
तेरे अंशो पर जीवन भारी,
कुछ तो तारणहार करो।
किसी रूप में फिर तुम आओ
मानव पर उपकार करो।
प्रतिध्वनी पत्रिका अगस्त 2020
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