जीना होगा

सुनी कहानी थी टूटे दिल की,
मगर कभी भी यकीन नही था,
तुम्हारी जुल्फों के दायरे से,
बिछड़ के हमको भी जीना होगा।

सनम कभी तो हमें भी देखो
ये पांव चल चल के छिल गए है,
तुम्हारे दर के लगा के चक्कर,
जहां की नजरों में गिर गए है।
मगर कभी भी बता न पाया,
है इश्क़ तुमको दिखा न पाया,
कभी भी दिल को न भान था ये,
कि गम जुदाई का पीना होगा,
तुम्हें यूं दिल मे कभी छुपा कर,
बिछड़ के हमको भी जीना होगा।

वो साया जो था हमारा अपना,
हुई अंधेरी जा छुप गया है,
तुम्हारे जाते ही मेरा जीवन,
टूटी चक्की सा रुक गया है,
कोई नही है जो देखे आकर,
बस पत्थरों में बदल गया हूँ,
कभी भी दिल को न भान था ये,
जख्मो को खुद ही सीना होगा,
तुम्हारे साये से दूर होकर,
बिछड़ के हमको भी जीना होगा।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं