बिखड़ी पंखुड़ियां: मोहब्बत के रंग

बहुत खूबसूरत हैं ये बातें तुम्हारी,
जिन्दगी की मेरी ये जरूरत भी है,
दिल पर तेरी अदाओं का जादू चला,
इनसे ये जिन्दगी खूबसूरत भी है।

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जुल्फों को सुलझाने की इज़ाजत तो दे,
मुझको तेरे पास आने की, इज़ाजत तो दे,
कितना बैचैन था मैं तेरी मोहब्बत के लिए,
मुझको ये बताने की, इज़ाजत तो दे।

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तुम तो मखमली सी आभा हो,
चांदनी हो रातों की,
तुमको छूने की ललक दिल मे,
डर भी दाग कोई न पड़ जाए।

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ये जुदाई का आलम है, कुछ रास नहीं आता,
मुझे तेरे सिवा कोई अंदाज नहीं भाता,
मैं कैसे कहूँ कि आँखों में न लाऊँगा नमी,
कि हँसने से भी गम का, अहसास नही जाता।

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बिना सजनी के मौसम भी, सुहाना है नहीं लगता,
तेरे लौट आने का, जमाना है, नहीं लगता,
कि तुझसे दूर होकर के, वहीं ठहरा है वक्त लेकिन,
जमाना चल रहा है बस, कुछ ठहरा नही लगता।

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