बिखड़ी पंखुड़ियां: दिल का दर्द

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मेरे जज्बात मचलते हैं मचल लेने दे,
दिल के हालात बिगड़ते हैं बिगड़ लेने दे,
आशिक हूँ मै नहीं करता इश्क का सौदा,
दिल मेरा ये जो तड़पता है तड़प लेने दे।।

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मेरे दिल को मोहब्बत का अहसास देकर,
वो चल दिये कदम दो कदम  साथ देकर।
जो समझे नहीं मोहब्बत की गहराईयां क्या है,
वो हमको डराते हैं दरिया-ए-आग कहकर।।

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वो तेरी मोहब्बत का अंदाज निराला था,
तीर-ए-नजर तूने, एक बार जो मारा था।
मैं हर चीज भुला बैठा, बस भूल न पाया वो,
जो तूने पिलाया एक, निगाहों का प्याला था।।

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यूँही बस राह में, मुस्कुराना चाहा है,
तेरी ही याद में बस, डूब जाना चाहा है,
कोई समझे मुझे पागल, तो पागल ही सही,
तेरी हर एक अदा पर, खुद को मिटाना चाहा है।

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