मेरा डर

आज हमारे मन मे डर तो बहुत सारे है लेकिन सभी का अगर एक निचोड़ निकाला जाए तो डर सिर्फ इस बात का है कि जिस इंसान ने इंसानियत का बलात्कार करके, हैवानियत को अपना लिया है कब हम भी हैवान  बन जाएंगे पता नही। आप चाहे कुछ भी करके इंसान को वापस इंसान बना दें तो कोई डर न हो। अगर सच मे इंसान फिर से सिर्फ इंसान बन जाये तो......

न कोई बच्ची, को नाले में फेंक कर आएगा।
लड़का लड़की दोनो को बराबर माना जाएगा

न किसी बच्चो या महिला को बलात्कार का डर सताएगा,
फूल से कोमल तन मन को, हरगिज कुचला न जाएगा।।

न कोई इंसान मोब लीनचिंग में मारा जाएगा,
और न देश मांस निर्यात में नंबर वन पर आएगा।

सब उस ईश्वर के बच्चे है, एक बराबर एक ही मान कर,
न कोई कुरान, गीता का "ईश्वर एक है" का पाठ भुलायेगा।

कानून से डरेंगे सब, न्याय सभी को समय पर मिल जाएगा।
न कोई पुलिस वाला 100 रुपये में, मान जाएगा।

एक दूसरे के साथ चलेंगे, हर घर मे उजियाला आएगा,
न कोई सड़क पर घायल को छोड़, घर को जाएगा।

न झूठ का कारोबार चलेगा, नेता झूठा न जीत पायेगा
न कोई धर्म, जात, पैसा, दारू में वोट बेच कर आएगा

शिक्षा का सम्मान सभी को, हर बच्चा स्कूल जाएगा,
भीख मांगता कोई जब लाल बत्ती पर न पायेगा,

मिलेगा सबको रोजगार, न बेरोजगार कहलायेगा,
ईजीनियरिंग करके कोई कहीं, रिक्शा ठेला न चलाएगा।

चमचा बनकर ये मीडिया, झूठी खबरें न दिखयेगा।
नोट में चिप घंटो तक, लोकतंत्र से न खेला जाएगा।

सब अपने कामो को मंदिर की भांति पूजेंगे,
अखबार भी सच लिखकर, आईना बन जायेगा।

मेरे मन का बस डर यही, कब तक खुद को छुपायेगा,
कब तक मेरा ये लघु संकल्प, मुझमें इंसान बचाएगा।


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