कसम
टुकड़ों टुकड़ों में घुट घुट के मरता हूँ मैं,
झूठी कसमे कोई तो, मेरी खा रहा।
तेरी महफ़िल में पी पी के बहके कभी,
तेरी महफ़िल से प्यासा ही दिल जा रहा।
इश्क़ जब से हुआ, दिल को क्या में कहूँ,
तब से दुनियां ही बदली नज़र आ रही,
दिल मे कोई बसा, सब मेरा खो गया,
मुझको खुशबू तेरी ही तो बहका रही।
पर तुझे बेखबर, कुछ खबर क्यों नही,
तू ही दिल मे उतरता मेरे जा रहा।
तेरी महफ़िल में पी पी के बहके कभी,
तेरी महफ़िल से प्यासा ही दिल जा रहा।
इश्क़ होता जो तुझको, मुझे रोकता,
मेरी चाहत का न बेवफा बोलता,
मेरे ख्वाबो से सजती तेरी जिंदगी,
मेरे अश्को पर तेरा लहू खौलता,
तुझको होगी भी क्यों इश्क़ की आरजू,
तू तो गैरों के बाहों में छुपा जा रहा।
तेरी महफ़िल में पी पी के बहके कभी,
तेरी महफ़िल से प्यासा ही दिल जा रहा।
16 जुलाई 2019
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