कुछ आज नया लिख दो आकर
कुछ आज नया लिख दो आकर, मेरे जीवन की कहानी में,
तुम रूठ गए तबसे तन्हा, कुछ भी न मज़ा, है जवानी में।
मैं रंग बिरंगी कुदरत के, हर रंग से ही अन्जाना था,
तुमसे मिलकर हूँ जीने लगा, जीवन से बेगाना था,
कुछ ऐसा करो की आग लगे, मेरे लहू की रवानी मे,
तुम रूठ गए तबसे तन्हा, कुछ भी न मज़ा, है जवानी में।
हालात ही अब कुछ ऐसे है, उल्फत की राहों मे मेरी,
सपनो ने भी आकर देखो, नींद उड़ा दी अब मेरी,
तुम खुश हो तो मैं भी खुश हूँ, अब तेरी हर नादानी मे,
तुम रूठ गए तबसे तन्हा, कुछ भी न मज़ा, है जवानी में।
भगवान से लड़ तो मैं लूँगा, किस्मत मे तुम जो नही होगे,
मै दुनिया से टकरा लूँगा, तुम साथ जो ना मेरा छोडोगे।
हाथ तुम्हारे, कुछ भी लिख दो, अब मेरी प्रेम कहानी में
तुम रूठ गए तबसे तन्हा, कुछ भी न मज़ा, है जवानी में।
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