चांद कहूँ कैसे तुझको

चांद कहूँ कैसे तुझको, फिर रात अमावस आयेगी,
तुझको ना जो देखूँगा, सांस मेरी थम जायेगी।
चांद कहूँ कैसे तुझको...........

एक रात सुहानी सपनो की, दिल मे सज जाने तो दे,
कुछ देर तो रुक सांसो मे, खुशबू, तेरी घुल जाने तो दे।
जो दिल मे मेरे है, बरसो से, वो राज बतलाने तो दे,
या सच है ये कि आस मेरी, मेरे साथ चिता पर जायेगी।।

तुझको ना जो देखूँगा, सांस मेरी थम जायेगी।
चांद कहूँ कैसे तुझको...........

बेरंग जवानी पर तुने, रंग इश्क़ का तो लगा ही दिया,
तू माने या फिर ना माने, मुझको तो भटका ही दिया,
और इश्क़ है दरिया गहरा ये, आंखो से समझा ही दिया,
अब आंखो मे तेरी कश्ती, क्या मेरी डूब ही जायेगी।

तुझको ना जो देखूँगा, सांस मेरी थम जायेगी।
चांद कहूँ कैसे तुझको...........

ये तेरी जुल्फों का बादल, उड़ उड़ कर कुछ तो कहता है,
क्या प्यार मेरा भी तेरे दिल मे, चुपके चुपके से रहता है,
या तू भी दर्द जमाने की, रीतों का छुपकर सहता है,
कुछ तो कह दे, अपने दिल पर क्या बोझ लिये जी पायेगी

तुझको ना जो देखूँगा, सांस मेरी थम जायेगी।
चांद कहूँ कैसे तुझको...........

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