बहिरा हुआ खुदाय......
कल रात हनुमान जी उड़ते उड़ते अल्लाह के घर गए। वहां पहुंच कर भक्त शिरोमणि ने उनको प्रणाम किया,
अल्लाह भी उनके लिए खड़े हो कर प्रणाम का प्रेम पूर्वक प्रतिउत्तर दिया और बोले आओ बैठो और आज इस ओर कैसे आ गए पवनपुत्र।
बस आपका शुक्रिया अदा करने आ गया, आपके कारण ही आजकल मेरे भक्त जोर जोर से पूजा अर्चना करने लग गए हैं। कलयुग में ये सतयुगी वातावरण आपके कारण ही आ पाया।
मेरे कारण??
मैं तो पूजा का ही विरोधी हूं, मूर्ति पूजा बुत परस्ती का प्रचार मैं क्यों करूंगा। आप तो जानते ही हो महाभक्त हनुमान।
इस बार तो ये आपका ही प्रताप है। आपके कारण ही तो आजकल भक्त पांच बार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं वो भी लाउड स्पीकर पर।
मतलब मेरे पंथ वालों की तरह आपके मार्ग वाले भी ये समझने लगे हम लोग बहरें हैं। मतलब अब हम दोनो साथ में हल्ला सुनेंगे। लोग मन में हजार पाप छुपा कर ऊपर से हमे चिल्ला चिल्ला कर कहेंगे हम ही सच्चे भक्त, जो चुप है वो झूठे है, जो चिल्लाए वो सच्चे। खुदा ने मुस्कुराते हुए कहा।
अब मुझे भी आसानी होगी पता करने में कौन सच्चा भक्त कौन झूठा। हनुमान जी भी मुस्कुराते हुए बोले।
तभी अजान को कानफाड़ू आवाज आई क्युकी स्पीकर का मुंह खुदा की तरफ ही था। और तभी दूसरी ओर जोर जोर से हनुमान चालीसा भी सुनाई दिया और दोनो धरती वालो की हरकतों पर मुस्कुरा भर दिए और कानों पर हाथ रखकर मन से आने वाली आवाजों को सुनने लगे।
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