तेरे बिना है फीका सावन कान्हा
तेरे बिना है फीका सावन,
तेरे बिना बेरंगी फाल्गुन,
तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ,
साथ तुम्हारा हर पल पावन।
हे कान्हा कुछ ऐसा कर दो,
जन्मों तक हो मिलन ये वर दो,
मुझमे बस एक वास हो तेरा,
स्वप्न में महारास हो तेरा,
तुममे जीवन, तुममे मृत्यु,
तुममे सांसों का अनुपालन,
तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ,
साथ तुम्हारा हर पल पावन।
दीपों के सब आलय तममय,
सूख रहे हिम आलय रसमय,
जीवन की हर छाया खोई,
बृज की मिट्टी मिट्टी रोई,
आस लगाये थकती यमुना,
नीर नयन ज्यों बरसे सावन,
तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ,
साथ तुम्हारा हर पल पावन।
सखा सखी सब को बिसरा के,
तोड़ चले इस जन्म के नाते,
मात-पिता का प्रेम भी भूले,
कैसे करते कर्म की बातें,
ये तो कहो क्या कर पाओगे,
प्रेम बिना सृष्टि संचालन,
तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ,
साथ तुम्हारा हर पल पावन।
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