काश कि तुम
काश की तुम मुझसे मेरे,
अरमान ये सारे ले जाते,
जो मुझको लिखे तुमने थे कभी,
पैगाम ये सारे ले जाते।
वीरान सा दिल, तू बहकी हुई,
पुरवाई सी, छाई उस दिन,
बह निकले सरिता मरु में,
यूं जीवन में आई उस दिन,
अब मैं हूं सारी खुशियों से,
अनजान ये, सारे ले जाते।
सारी खुशियां, सारे आंसू,
अहसान ये सारे ले जाते।
जो मुझको लिखे तुमने थे कभी,
पैगाम ये सारे ले जाते।
जज्बातों की मैय्यत में,
हर भूल सखी स्वीकार मुझे,
तुम पर क्या खुद पर भी नही,
अब थोड़ा भी अधिकार मुझे,
न प्रणय मिलन, बस एकांकी
वरदान हमे, सब ले जाते
तुम बिन तो मैं जीवन से
अनजान, ये सारे ले जाते,
जो मुझको लिखे तुमने थे कभी,
पैगाम ये सारे ले जाते।
मैं भूल गया कि स्वप्नों की,
सीमा बस नींद की हद तक है,
हर पल तुमसे से जो दूर जिया,
जीवन की अंतिम दस्तक है,
देकर अपने तुम सब आंसू
सौ बार, ये सारे ले जाते।
स्वप्नों के ये महल सखे
बेजार, ये सारे ले जाते।
जो मुझको लिखे तुमने थे कभी,
पैगाम ये सारे ले जाते।
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