दिल की कलम से
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
मेरी मोहब्बत की, तुम राजरानी,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
किसने कहा कि, तुमको भुलाकर,
दुनियां नई हम, बसाने चले है,
तेरे बिना कोई, हसरत नहीं है,
कैसे कहें क्या, निभाने चले है।
कैसे जुदाई ने, हमको रुलाया,
दुनिया ने क्या-क्या, सितम हमपर ठाया,
वफ़ाएँ तुम्हारी, तेरा नाम लेकर,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
है ये कैसा सफर, कुछ नहीं जानता मैं,
न मंजिल न राहें, हूँ पहचानता मैं,
मेरे हमसफर जो तेरा साथ न हो,
ख़ुदाई, या रब को, नहीं मानता मैं।
कि किसने चुराई, मेरी सांस मुझसे,
कि किसने चुराई, मेरी प्यास मुझसे,
जो तुझसे मिली, आखरी वो निशानी,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अमर प्रेम है हमने ऐसा सुना था,
तुझे दिल ने पहली नज़र में चुना था,
जो हमने सजाया वही बाग उजड़ा,
कहाँ स्वप्न जो हमने मिलकर बुना था?
किसने ढहाया है ये ताज दिल का,
किसने उजाड़ा हसीन बाग दिल का,
है किसने सजाई मोहब्बत की मैय्यत,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
मेरे गीत में तुम को आना ही होगा,
मेरे साज से सुर मिलाना ही होगा,
मोहब्बत की बातों पर ओ हँसने वाले,
तकिया तुझे भी भिगाना ही होगा।
मेरी हसरतों को कुचला था किसने,
मौत में जिंदगी को बदला था किसने
अगर इस कहानी का हर राज खुलकर,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
है हसरत की दुनियां छोटी बहुत ही,
हैं जीवन की खुशियां खोटी बहुत ही,
मुझे ये यकीन, तेरी गलती नही कुछ,
है किस्मत ये मेरी रोती बहुत ही।
था किसने कहा, वो मेरा साथ देगा,
कहीं जो मैं गिरा, हाथ मे हाथ देगा,
जो मंजिल थी मेरी, अगर नाम उसका,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
चलो अब चलें दूर, दुनिया हो बेहतर,
दूसरा हो शहर, शायद नमियाँ हो बेहतर,
हो मरहम ऐसा, जो सब घाव भर दे,
नई शाम हो, शायद गलियां हों बेहतर।
मगर दिल के घावों को कैसे दवा दें,
है उल्फत के आंसू, ये कैसे बहा दें,
हूँ किसकी मोहब्बत में, जीवन मैं हारा,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
अपनी कहानी, दिल की कलम से,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
मेरी मोहब्बत की, तुम राजरानी,
लिख मैं जो दूंगा, पढ़ न सकोगे।
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