कभी कभी बस करता है मन

कभी कभी बस करता है मन,
मुझसे आंखें चार करो।
नयनो का है, प्रणय निवेदन,
नयनों से स्वीकार करो।


हमने तुमको छुपकर देखा,
राहों में रुक-रुक कर देखा,
प्रेम रुग्ण अपने प्रेमी को,
करते हो तुम बस अनदेखा,
कभी कभी बस करता है मन,
मुझसे बातें चार करो,
नयनो का है, प्रणय निवेदन,
नयनों से स्वीकार करो।


इन स्वप्नों से इन नयनो तक,
इन सांसों से इन प्राणों तक,
इस वाणी से, इन कंठों तक,
मन के विस्तृत अंत छोरों तक,
कभी कभी करता है ये मन,
सब पर तुम अधिकार करो।
नयनो का है, प्रणय निवेदन,
नयनों से स्वीकार करो।


दुनियां के छल प्रपंचों ने,
प्रेम में ये व्यवहार किया है,
मन देना, मनचाहा पाना,
नया प्रेम व्यापार किया है,
कभी कभी बस करता है मन,
मुझको अंगीकार करो,
नयनो का है, प्रणय निवेदन,
नयनों से स्वीकार करो।


कब तक तुम यूं रार करोगे,
प्रेम का तुम प्रतिकार करोगे,
जीवन क्षणभंगुर ये जानो,
व्यथ जीवन उपहार करोगे।
कभी कभी बस करता है मन,
छुप-छुप फिर इकरार करो।
नयनो का है, प्रणय निवेदन,
नयनों से स्वीकार करो।

Comments

  1. अनुपम प्रणय निवेदन !!! अनुराग लिए समर्पित मन की सुंदर कामना !!!!!!!

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