तुझे खोकर पाया खुद को
कि जब था साथ तेरा तो, नहीं कुछ पास था मेरे,
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
न पूछो गम का वो आलम, कि जब तुम छोड़ भागे थे,
मेरे दिल, मेरी उल्फत के, सब टूटे कच्चे धागे थे,
कहीं कुछ भी नही था तब, मैं खुद हूँ साथ बस मेरे।
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
कभी मुझसे मिला था तू, दिल ये तुझपर वारा था,
कि सालों तक तूहीं मेरे, जीने का सहारा था,
कि सपने है सभी टूटे, है बाकी अहसास बस मेरे।
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
तुझे पाऊंगा इसी धुन में, मैं जग को ही भुला बैठा,
तू मेरे दिल पर यूं छाया, मैं खुद को ही मिटा बैठा,
अब भी है यूं ही बिखरे, नादान जज्बात सब मेरे।
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
कि तू भी था खुशी भी थी, हसीन ये जिन्दगी भी थी,
कि सब कुछ था मगर दिल में, कहीं कोई कमी भी थी,
उमंगे है, नई मंजिल, नये पर साथ बस मेरे।
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
मैं करता हूं कहीं कुछ भी, नया तो क्यूं अखरता है,
जमाने का मेरे हंसने से, न जाने क्या बिगड़ता है,
जब मैं रो रहा था तब, कोई न साथ था मेरे,
तुझे खोकर के पाया है, खुद ही को साथ बस मेरे।
wow nice
ReplyDeleteBeautiful lines.
ReplyDeletethanks
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