मैं क्या ढूंढता हूँ?
मैं क्या ढूंढता हूँ, मैं क्यों ढूंढता हूँ ,
दिवाना बना यूं किधर घूमता हूँ,
मेरे दिल पर किसका असर हो गया है,
मैं किसको यूं ही बेख़बर ढूंढता हूँ ....
बहुत उम्र मैंने यूं ही बिता दी,
नजर से पिला दे, मिला न वो साकी,
तन्हा सी मैं एक नजर ढूंढता हूँ,
मय में है किसका असर ढूंढता हूँ
बहुत देर से यूं ही चलता रहा हूँ,
अंधेरों में दिल की भटकता रहा हूँ
जाने न किसका मैं घर ढूंढता हूँ,
मिलता नहीं है मगर ढूंढता हूँ,
मंदिर में पाया न मस्जिद में पाया,
न सागर में पाया न साहिल पर पाया,
वो क्या जिसको शाम-ओ-सहर ढूंढता हूँ,
महफिल में किसकी नजर ढूंढता हूँ.....
मैं क्या ढूंढता हूँ, मैं क्यो ढूंढता हूँ,
दिवाना बना ये किधर घूमता हूँ,
समझ में न आई थी ये बात मुझको,
देखा नहीं मैने जब तक था तुझको..
तुझे ढूंढता हूँ, तुझे ढूंढता हूँ,
दिवाना बना मैं तुझे ढूंढता हूँ,
तन्हा सी तेरी, नजर ढूंढता हूँ,
मैं मय में, तेरा ही असर ढूंढता हूँ,
कब से तेरा ही मैं घर ढूंढता हूँ,
तुझी को मैं शाम-ओ-सहर ढूंढता हूँ,
महफिल में तेरी नजर ढूंढता हूँ,
नजर ढूंढता हूँ, नजर ढूंढता हूँ,
तुझे ढूंढता हूँ, तुझे ढूंढता हूँ, ......
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