है तेरे नहीं बस की.....

1. 
तुम मुझको भुला दोगे ये भी एक हकीकत है, 
दिल तोड़ के जाना भी, है ढंग मोहब्बत का,
हम लाख रहें तन्हा, तन्हाई में भी तुम हो,
तेरा छोड़ के जाना भी, है रंग मोहब्बत का।


तुम ही थे कभी आये, शरमाकर बाहों में.,
थे साथ चले तुम ही, ले हाथों को हाथों में
उस शाम सिंदूरी पर, अब छाई उदासी है
तुम कैसे भुला दोगे, वो संग मोहब्बत का।


क्या होगा बिना तेरे, अंदाजा नहीं कुछ भी,
यादें ही दिल में हैं अब ज्यादा नही कुछ भी, 
इनको भी मिटाने को, सौ तीर चलाते हो,
लगता है दिखा दोगे, हर रंग मोहब्बत का।


सब हार के बैठा हूँ, तुम जीत गए सब कुछ,
क्या क्या न किया लेकिन, है हाथ न आया कुछ,
कहते हैं कि उल्फत ये, एक जंग ही होती है,
मुझको भी सिखा दोगे, हर ढंग मोहब्बत का।


2.
मेरे ख्बावों ख्यालों में, रंग बन तुम छाये हो,
बंद आँख करू जब भी, तुम ही तुम आये हो,
साँसों मे मेरे खुश्बू, अब तक वो तुम्हारी हैं,
मैं कैसे मिटा दूं वो, अहसास मोहब्बत का।


शब पर भी उदासी है, सांसों पर उदासी है,
बिन तेरे सनम छाई, उपवन पर उदासी है,
तुम क्रूर बहुत हो ये, लब से तो हैं कह देते,
पर दिल ही समझता है, जज्बात मोहब्बत का।


ये कैसी मोहब्बत थी, जिसको तुम भुला बैठे,
दिल तोड़ सनम मेरा, तुम प्यार मिटा बैठे,
हमने जो पिया था वो, कभी चढ़ के नहीं उतरा,
कैसा था पिया तूने, ये ज़ाम मोहब्बत का।


मै कितना भुलाता हूँ, क्षण भर भी नहीं भूला.
मेरे दिल की चादर पर, न रंग चढ़ा दूजा,
मैने तो सुना है तु, प्यार में है फिर से,
था सीखा कहां तूने, ये पाठ मोहब्बत का।


दिल तेरा नहीं टूटे, अरदास हमारी है
तू कुछ भी समझ लेकिन, तू सांस हमारी है,
हर पल ये दुआ तुझको, कोई तुझसा न मिल जाये,
घटने दूं भला कैसे, मैं मान मोहब्बत का।


पर ये भी तो सच है कि, जो बोया वही पाया,
न देखा बबूलों पर, है आम कभी आया,
जो तूने किया उसकी, हर सजा हमारी हो,
तुझपर न चले कोई, वार मोहब्बत का।


कभी मैने नही चाहा, प्रतिदान मोहब्बत में, 
तुम मुझको दिखाते हो, अहसान मोहब्बत में
ये तो वो मंजिल हैं, "मैं" छोड़ कर मिलती है,
है तेरे नहीं बस की, ये काम मोहब्बत का।

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