हिरनी सी आंखों में देखो


हिरनी सी आंखों में देखो, नैना मेरे अटक गए हैं,
उसमें सारे अरमान देखो, दिल के मेरे भटक गए हैं।

कैसे उनको पा लेने के, दिल ने सब अरमान सजाए,
कैसे उलझा दिल जुल्फों संग, बेदर्दी वो झटक गए हैं।

आज अभी तक हुआ न ऐसा, जीवन में कितनों को देखा,
उनको देखा बस दिल के सब, स्वप्न उन्हीं में भटक गए हैं।

होठों की लाली में डूबी, लाली सारे मयखानों की,
धार हुई है कुंद मय की, लब पर लब जो अटक गए हैं।

नयनों ने जो बाण चलाए, उनसे बचना नामुमकिन था,
इन नयनों से घायल देखो, महफिल में सब लटक गए हैं।

कुछ तो था मुस्कान का जादू, और कुछ पागलपन सा मेरा,
जितना चाहा बचना इनसे, इनमे ही हम भटक गए हैं।

सारे गुलशन जल जाएंगे, हुस्न तुम्हारा कुछ ऐसा है,
जुल्फों का उड़ना इठलाना, सावन को ये खटक गए हैं।

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