तरस न आया

तरस न आया पल भर उनको,
सदियों की ये जुदाई  है,
पल भर न बाँहों में आये, 
जग से प्रीत निभाई है।
तरस न आया पल भर उनको....

कुछ सपनों ने छीना सब कुछ,
रिश्ते नाते, दुनिया, यारी,
छीन लिए पल भर में हमसे,
चीजें जो हमको थी प्यारी,
जिन सपनों में जी लेने को,
कालकूट विष पान किया,
उन सपनों ने हमसे देखो,
कैसी प्रीत निभाई है।
तरस न आया पल भर उनको....

जग को सारे यकीन नहीं था,
स्वर्ग प्रेम से बौना है,
उसको पाना जग को खोना,
उसको खो बस रोना है,
चाल चली नियति ने ऐसी, 
मन ये ठूठ, पाषाण हुआ,
जीत गए सब बाजी अपनी,
प्रेम की बस रुसवाई है।
तरस न आया पल भर उनको....


प्रबल कठिनतम वो जीवन जो,
बिन तेरे उपहार मिले,
सदियों तक हो विरह का रोना,
जब मिले तो तेरा प्यार मिले,
क्रूर समय की निर्मम गति से,
जीवन खुद संताप हुआ,
जिसको अमृत मान लिया था,
वो जीवन ही दुहाई है।
तरस न आया पल भर उनको....


जो होना वो होना ही है,
किसने ये इंकारा है,
नियति ही अंतिम शक्ति है,
कब उसपर जोर हमारा है,
करने को कुछ भी कर लो पर,
समय कहीं कब ठहरा है,
जीवन का मतलब तो खुद के,
जीवन से ही लड़ाई है
तरस न आया पल भर उनको....

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