दिल को टुकड़ों में सजा दी मैंने
दिल को टुकड़ों में सजा दी मैंने
तेरी तस्वीर घर में ही लगा ली मैंने।
किस-किस की कही का क्या देता जवाब,
एक चुप्पी सी मेरे होठों पर लगा ली मैंने।
एक वो जो मेरे होने पर फिदा था बरसों,
आज उस दुनियां से नजरें ही फिरा ली मैंने।
लौट आएगा गया वक्त मुमकिन ये नहीं,
तेरी यादों की चिता कल ही जला दी मैंने।
मन का तूफान रुका कब है किसी के रोके,
दिल की कश्ती ही लहरों को थमा दी मैंने।
मैं बिखर जाऊंगा इस बात का यकीन था उसे,
उसकी नजरों से नजरें ही हटा ली मैंने।
कोई आहट नही होगी, मेरे दिल पर कभी,
दिल में दीवार पत्थर की बना ली मैंने।
शुक्रिया तेरा मुझे मुझसे मिलाया तूने,
तेरे सजदे में नजरें ये झुका ली मैंने।
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