तुम इश्क़ हमारा भूलो
तुम इश्क़ हमारा भूलो
अधिकार तुम्हें है लेकिन,
तुमको दिल ये भुला दे,
हमको स्वीकार नही है।
लाख कहो तुम हमसे,
तुमको नही उल्फत लेकिन
तुम खुद को तो समझा लो,
तुम्हें हमसे प्यार नहीं है
दिल काबू में आ जाये,
तो बंजर हो जाये धरती,
दिल का उन्मुक्त न होना,
प्रभु को स्वीकार नही है।
आधार जगत में जीवन
का प्रेम रहा है मानो,
प्रेम बिना खुद ईश्वर,
का ही आधार नही है।
अब मान लिया तो आओ,
नव प्रेम के अंकुर सींचें,
अब ये न कहना तुमको,
मुझसे ही प्यार नही है।
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