बस मोहब्बत करके तन्हा

बस मोहब्बत करके तन्हा,
दिल भी है, और हम भी हैं।
तू शमां जैसी, पतंगा
दिल भी है, और हम भी है।

इश्क़ करता जो न था तो,
दिल मे कोई गम न था,
मरघट सी थी एक उदासी,
उमंग न थी, कोई रंग न था,
दिल लगा कर हो गई,
हर उदासी दूर सी थी।
तू गई बस, अब तो तन्हा,
दिल भी है, और हम भी है।
तू शमां जैसी, पतंगा
दिल भी है, और हम भी है।

बस कहीं पर खो गए है,
इश्क़ के जो दीप थे,
आज कण-कण ढूंढ़ता हूं,
स्वप्नों के जो सीप थे,
हर तरफ बस एक रंग,
तुमसे जुदा होकर हुआ है
फाल्गुन में भी बेरंग, सा ये,
दिल भी है, और हम भी है।
तू शमां जैसी, पतंगा
दिल भी है, और हम भी है।

तुम मिले तो ये लगा कि,
स्वपन को अधार मिला है,
देर से ही हो मिला पर,
स्वप्न ये साकार मिला है,
पर कहानी मे कुछ ऐसे
नियती ने गम को लिखा है,
अब तो बस बेमौत जिन्दा,
दिल भी है, और हम भी है।
तू शमां जैसी, पतंगा
दिल भी है, और हम भी है।

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