तू क्यू हैरान है क्यू परेशान है

सफर

तू क्यू हैरान है क्यू परेशान है,
जिन्दगी के सफर की ये पहचान है
तू जो बीती उसी को बस सच मानता है,
सच तो आगे भी है, तू बस अनजान है।


क्या हुआ जो, तेरा दिल ये टूट गया,
क्या हुआ जो, तेरा ख्बाव टूट गया
सब कुछ मिलता नही ये भी सच्चाई है,
वो तेरा न था जो तुझसे छूट गया।

सबकी हसरत यहाँ तो अधूरी है बस,
कहाँ सम्पूर्ण कोई इन्सान है...


खुद ही सहने हैं गम के थपेरे सभी,
कोई दुख में तेरा साथ देगा नही,
खुद ही जाना तुझे पार मझधार के,
थाम ले कोई, ये अक्सर होगा नहीं,

जो तेरे साथ है, वो भी हो कि न हो,
बस बदलना ही, वक़्त की पहचान है.....


ये भी माना अंधेरा घना छा गया
वो जो छूटा तुझे याद फिर आ गया,
अच्छी यादों को दिल में बसा कर रखो,
फेंक दो जो तुम्हारी हसीं खा गया,

तेरे आगे है कल का सबेरा नया,
तेरा चलना ही मानव, तेरी शान है.....

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