जिंदगी ऐसी मेरी जाने, गुजरती क्यों है?
रंज
जिंदगी ऐसी मेरी जाने, गुजरती क्यों है,
तू अभी तक मेरी साँसों में उतरती क्यों है।
अब भी है रंज मेरे दिल को, तेरे खोने का,
मेरे हालात पर ये दुनियां यू हंसती क्यों है।
अब भी छा जाती है तू, यादों के तूफां की तरह,
तुझको जाना है तो जा, जाके पलटती क्यों है।
खत सभी तेरे जला डाले थे, उसी पल, लेकिन
तेरी यादों की शमा, दिल में मेरे, जलती क्यों है।
क्या हुआ है इस शहर को, ए मालिक मेरे,
शाम सुऩसान सी, सहमी सी गुजरती क्यों है।
सर ये अब भी, मैं झुकाता हूं तेरे दर पर आकर,
अब मेरी रात तन्हा-तन्हा सी गुजरती क्यूं है।
Good one vishu bhai
ReplyDeleteGood one vishu bhai
ReplyDeleteWell said
ReplyDeleteThanks
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