दिल बेचारा 283
सुन फूलों की सरगोशियाँ, मेरा दिल बेचारा बहक रहा,
तेरे हुस्न से, मेरे इश्क से, ये जमाना सारा दहक रहा।
कोई राज कब था तेरा मेरा, न तो दिल में कोई सवाल था,
हुई कोशिशें तो हजार पर, मेरा घर तुझ से महक रहा।
किसी ख्वाब सा तू मिला मुझे, बड़ी दिलनाशी सी थी रात वो,
मुझे गम न हो किसी बात का, तेरा गम छुपा तू चहक रहा।
मुझे क्या गरज मैं दुआ करूँ, मेरी आरजू न बची कोई,
मुझे अब शमां की न चाह है, मेरा इश्क खुद ही दहक रहा।
तुझे इश्क़ करने की चाह थी, जमाना क्या ये समझ गया,
इसी बेबसी के ख्याल पर, तेरे साथ से दिल बहक रहा।
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