वो प्यार (e)

आज मुझको मेरी जिन्दगानी मिली,
मेरे बचपन की छूटी कहानी मिली
आज सपने वो फिर से जवां हो गए,
मेरी खोई हुई फिर जवानी मिली।


गीत कोई नया सा था बजने लगा,
रंग फाल्गुन का फिर से था सजने लगा,
जून की गर्मियों का ये मौसम कठिन,
एक पल में ही सर्दी सा जमने लगा।
उसके होठों में पल भर को चहकी हँसी,
दिल पुराना समां फिर था गढ़ने लगा,
देखने लग गया, भूल कर के जहां,
जब्त आंखों में था, कतरा बहने लगा।
पर मोहब्बत तो है इतनी मासूम सी,
एक पल में ही जैसे था सब मिल गया,
उससे नजरें मिलीं, मिल कर खुद झुक गईं,
दिल को सांसो को फिर से रवानी मिली।
आज सपने वो फिर से जवां हो गए,
मेरी खोई हुई फिर जवानी मिली।


उड़ती जुल्फों में थोड़ी सफेदी सी थी,
चाल उसकी वही कुछ नशीली सी थी,
उसको सब था मिला, बिन प्रथम प्रेम के
दिल में छुपा कर रखी एक पहेली सी थी,
थे बहुत भाव पर, दिल ये बेज़ार था
एक जामाने से दिल मे छुपा प्यार था,
सबकी बातें यही, क्या मिला क्या गया
इस जमाने मे उल्फत का व्यापार था।
आज तक है वही झुरझुरी झुरझुरी,
छू लिया था बदन मरमरी मरमरी,
खो गए थे नयन उन नयन में कहीं,
फिर न महकी सी वो रातरानी मिली,
उसके गालों पर उभरी थी लाली वही,
उसके होठों पर मेरी निशानी मिली।
आज सपने वो फिर से जवां हो गए,
मेरी खोई हुई फिर जवानी मिली।


ebook published अभिव्यक्ति सांझा काव्य संग्रह


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