फिर नक्सली हमले की निंदा, व्यर्थ नहीं जाएगी शहादत

किस PM ने ये पहले नही बोला, मोदी जी भी कम से कम 50-60 बार बोल चुके है, लेकिन किया क्या है। चाहे कश्मीर हो, पंजाब या छत्तीसगढ़, या झाड़खण्ड,  सब जगह सैनिको की शहादत होती है। नेता भाषण भोंकते हैं, बाद मैं उनमे से ही कुछ बोलते है कि "सैनिक तो मारने के लिए ही होते है" फिर वो ही नेता मंत्री बन जाते है। सैनिको को थप्पड़ खाने की परमिशन होती है गोली चलाने की नही।

हम इसकी जांच की लिए आयोग बनाएंगे, उसकी रिपोर्ट आएगी की ISI का हाथ है। बस सब ठंडे बस्ते में। सही से सोच जाए तो ये सही है कि देश मे सब आतंकवादी घटनायें ISI के सपोर्ट से होती हो लेकिन ये भी निर्मम सच है कि पुलिस और नेता तंत्र के लिए ISi से बड़ा कोई मददगार नही, क्योंकि जिस भी घटना की जांच न कर सको, या हिम्मत न हो, या न करना चाहते हो, या किसी को बचाना हो तो उसके लिए ये बोल दो की ISI ने करवाया, जांच खत्म, पाकिस्तान को गाली दो, सब ठीक। हद है कि एक संगठन और उसका देश जो हमारा "Most favoured nation" है।

चाहे PM "इंदिरा" हो (as per अटल जी , "दुर्गा") चाहे भारत मे कम्युटर क्रांति के "कथित" प्रणेता राजीव गांधी, चाहे मंडल कमंडल लहर वाले PMs, चाहे खुद अटल जी हो या महान अर्थशास्त्री गूंगे प्रधानमंत्री हो या वर्तमान प्रधानमंत्री श्री श्री (विश्व भर्मणकारी, मन की बात के वक्ता, 56 इंच वाले बाहुबली, किसानों की हत्या की समस्या के उन्मूलक, ISI के दमनकर्ता, पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने वाले पहले नायक, पठानकोट में ISI को ऑफिशली पिकनिक मनाने की परमिशन दाता, मनमोहन की पाकिस्तान की बातचीत का विरोध करने वाले और कभी पाकिस्तानी केक न खाने वाले महान विचारक, गंगा मैया द्वारा बुलाये गए और गंगा को साफ करके भगीरथ की भांति भारतवर्ष  के उद्धारक..... श्री श्री...)  श्री मोदी जी (देश मे देशद्रोही के तमगे से बचने के लिए बोलना पड़ता है), कोई भी हो, उसकी हिम्मत नही होती कि वो पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर दे, हम पाकिस्तान  से मिन्नत करते है आतंकवाद रोको, अमेरिका और UNO से भीख मांगते है, यूरोपियन नेशन के आगे गिड़गिड़ाते है कि वो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, आतंकवादी देश घोषित करो, क्यों करो, तुमने किया ? वो पहले क्यों कर दे, तुम क्यों नहीं, तुम व्यापार करो, वो आतंकवादी घोषित कर दे, हद दर्जे की विचारधारा है। कोई सवाल पूछे तो देशद्रोही, कोई केक खाये तो राष्ट्रवादी।

चलो क्या फर्क पड़ता है इनको आज 24 शहीद हुए या कहे देश के नेताओ की राजनीति के द्वारा हत्या की गई, कल फिर 50 होंगे, फिर 10 होंगे। "आखिर कोई उनको पकड़ कर तो सेना में लाया नही है, खुद आये है,तो गोलिया खानी ही पड़ेगी, जब काम ही ऐसा है तो गोलिया लगेंगी ही, गोलियां जान ही लेंगी, और इस काम के सेलरी भी मिलती है भत्ता भी, और हाँ, कथित रूप से "One rank one pension" भी शुरू, कागजो में ही सही। और क्या चाहिए।

सच मे हम न तो देश के सम्मान करने मे पीछे है, न किसी देशद्रोही को सज़ा देने मे और न सैनिको को सम्मान देने मे, हम सबसे आगे। इससे बड़ा सम्मान क्या होगा कि सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री ने टाइम निकाल कर वक्तव्य दिया है ये बात और कि कुछ किया नही। अगली बार कुछ होने पर फिर देंगे, मुआवजा भी दिया जाएगा, ये बात और कि हो सकता है किसी को ये मुआवजा लेने के लिये रिश्वत ही क्यों न देनी पडे।

जय हिन्द, जय  भारत,

#नक्सली_हमला

नोट: किसी को तकलीफ देने कोई मंशा नही, सैनिको की बहादुरी और देशभक्ति अतुलनय है, बस राजनेताओ ने उनको कठपुतली बना रखा है। किसी नेता को बात दिल पर लगे तो.... सॉरी दिल होना भी तो चाहिए.........

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