इश्क़ की कहानी न पूछिये

यूँ मुझसे मेरे इश्क़ की कहानी न पूछिये,
जो तन्हा गुजर गई , वो जवानी न पूछिये,
क्यों हो गया ये हाल, मुझे खुद खबर नहीं,
बस मुझसे मेरे दिल की नादानी, न पूछिये।

वो वक़्त कहाँ गया जब, सब करीब था,
जब्त मेरे बाजुओं में जब , मेरा नसीब था,
जब ठोकरों पर था मेरे, जमाना औ आसमाँ,
बस गुजर गई है अब, वो रवानी न पूछिये।
यूँ मुझसे मेरे इश्क़ की कहानी न पूछिये।

मैं टूटता रहा मगर, दिल तोड़ न पाया,
कोई लूटता रहा, मैं मुँह मोड़ न पाया,
वो इश्क़ भी करता था तो, बस खेल एक था,
क्या क्या मैं हारा मुझसे, मेहरबानी न पूछिये,
यूँ मुझसे मेरे इश्क़ की कहानी न पूछिये।

उसकी कहानी का बस, किरदार सा मैं था,
जो जितना भी था, बस गुनाहगार सा मैं था।
बस उसको मोहब्बत का खुदा मानता रहा,
क्या हो गया मुझको, मेरी जुबानी ना पूछिये।
यूँ मुझसे मेरे इश्क़ की कहानी न पूछिये।

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