सुला दे मुझको 291

तेरे होठों की ये मिठास चखा दे मुझको,
अपनी प्याली से एक घूंट पिला दे मुझको।

आज की रात ये आई है बड़ी मुद्दत में,
अपने पहलू में फिर आज सुला दे मुझको।

ये सितम मुझपर बहुत ही ज्यादा है,
इससे अच्छा तो निगाहों से मिटा दे मुझको।

इन नजारों में नहीं, तुझमें कशिश है जो सनम,
मान जा दिल में कहीं अपने बसा ले मुझको

सुन कोई राज छुपाया ही नही तुझसे  कभी
कहना चाहे जो तेरा दिल वो बता दे मुझको।

थक गया हूँ मैं सपनों का वजन ढ़ोते-ढ़ोते,
ख्वाब जिसमें न हो नींद ऐसी सुला दे मुझको।

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