P287 न सफर में दिल को सकून था
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है,
तेरे इश्क का, तेरे इश्क का,
तेरे इश्क का ये खुमार है।
ये सुनो घटाओं की अनकही,
मेरे दिल में उतरी है रात भर,
मेरे साथ होकर भी दूर क्यों,
तेरा प्यार कैसा ये प्यार है
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है।
सुनो सिलसिला ये बना कभी,
तुझे देखा मैंने था रात भर,
मेरी जिंदगी की नसीब से,
ठनी कैसी चिर ये रार है।
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है।
कभी रात-दिन में फर्क न था,
तेरा मिलना मुझसे अजब ही था।
तू बता तो दिल के करार में,
पड़ी कैसी अब ये दरार है
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है।
कोई बात है तो बता तो दे,
किसी राज का तू पता तो दे,
कुछ किया नहीं तूं गया बदल,
बिन तेरे ये सूना दयार है।
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है।
अब सवाल है मेरी जिंदगी,
अब सवाल है मेरी बंदगी,
अब सवाल सांसों की डोर ये
अब सवाल दिल में हजार है।
न सफर में दिल को सुकून था,
न तो मंजिलों पर करार है।
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