जो मेरा नहीं उसी ख्वाब पर p286

जो मेरा नहीं उसी ख़्वाब पर,
मैं था ख्वाब सारे सजा रहा,
तेरी चाहतों का ले सिलसिला,
मैं था राह अपनी बना रहा।

कोई गीत कहता तो क्या भला,
मेरे इश्क़ में कुछ नया नहीं
तुझे भूल जाने की थी जिद्द लगी
मैं तो खुद को ही था मिटा रहा।

मेरे ख्वाब सारे गुनाह अब,
तेरे इश्क में न पनाह अब
तेरी एक निगाह की आस पर,
मैं तो जिंदगी था लुटा रहा।

चलो फिर से कोई घाव दो,
चलो फिर ये बाहों का हार दो,
मेरे चाहतों के महल में मैं,
तेरी नफरतें को बसा  रहा।

सुना होगा कोई नया सफर,
तेरे इश्क का ये तो है असर,
मैं तो खुद ही थमती सांसें ले,
मेरी मय्यतें को सजा रहा।

तुझे अब भी मुझपर यकीन नहीं,
तुझे कैसे इसका प्रमाण दूं,
मुझे तुझपर रब सा यकीन है,
ये ही बात कब से बता रहा।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं