असर तुम्हारा शामिल होगा
असर तुम्हारा शामिल होगा, इस तपती गर्मी में कुछ तो,
मन की तपन बढ़ा देती हो, तन में अगन लगा देती हो,
तुम देती हो ताप बढ़ा यूं, सारा जग ये आह है भरता,
मधुर मिलन मधुमास का मेरे, मन में मोह जगा देती हो।
भूला ना दिल सदियां बीती, होठों पर होठों का आना,
नयनों का नयनों में थमना, सांसों पर सांसों का छाना,
दुनियां के जो नियम थे सारे, उस पल में कुछ याद नहीं थे,
हम में तुम थे तुम में हम थे, बातें थीं अल्फाज़ नहीं थे,
नयनों से मधुमय एक धारा, जीवन में बिखरा देती हो
मधुर मिलन मधुमास का मेरे, मन में मोह जगा देती हो।
तन लचकाती, मन भरमाती, नयनों से मदिरा बरसाती,
डाल–डाल पर फूल–फूल पर, ईर्ष्या की तुम आग लगाती,
सागर लहरें, रिमझिम वर्षा, सावन मधुबन तेरी चर्चा,
रोज स्वप्न में आकर देखो, मुझको तुम हो खूब सताती,
कितना होगा जीवन मधुमय, हंसकर तुम बतला देती हो,
मधुर मिलन मधुमास का मेरे, मन में मोह जगा देती हो।
जीवन के सारे दोराहे, तुम पर आकर एक हुए हैं,
भाव जो सारे बौराए थे, मिलकर तुमसे नेक हुए हैं,
तुमसे नजरों का मिल जाना, तुममें दिल का खोते जाना,
तुमसे मिलकर बैरंगे सब, स्वप्न मेरे रंगरेज हुए हैं,
जन्मों मैं किस रंग में डूबा, नयनों से जतला देती हो,
मधुर मिलन मधुमास का मेरे, मन में मोह जगा देती हो।
Comments
Post a Comment