एक बाण काम फिर मारो
हर ओर प्रेम प्रेम ही फैले, जग ये प्रेम मगन हो जाये,
नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले,
दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये।
एक बाण काम फिर मारो, व्यापक प्रेम अगन हो जाये।
तुमसे मिलने को यौवन ने की कितनी तैयारी,
रूप सजाया अनुपम सुंदर, तन ज्यूँ हो फुलवारी।
आई मैं पास तुम्हारे, तन मन और जीवन को हारे,
महावर काजल बिंदिया, होकर के सोलह श्रृंगारी।
बरसों से तरसे ये नैना, मार लिया मन मिला न चैना,
तुमको देखा मन ये बहका, तन गाये जैसे हो मैना।
एक बाण काम फिर मारो, सम्पूर्ण लगन हो जाये,
बरसो की हर आस हो पूरी, पिया मिलन हो जाये।
नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले,
दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये।
सांसों में सांसें उलझी, तुमने ली वो अंगड़ाई,
लब छू बैठे उन होठों को, भूली सारी चतुराई,
हम साथ तुम्हारे ऐसे, हों सर्प और चंदन जैसे,
रात मिलन की हमने, है स्वप्न से सुंदर पाई,
सरगम है देखो बहकी, सांसें है दहकी-दहकी,
मन तृप्त हुआ है ऐसे, मरु में ज्यूँ नदिया बहती,
एक बाण काम फिर मारो, जो तन मन को बहकाये,
मधुमय हो सारा जीवन, कुछ खास जतन हो जाये
नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले,
दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये।
और सुनाओ पास बैठ कर, जीवन के कुछ राग सुहाने,
आते जाओ पास हमारे, जीवन रस हम पर बरसाने,
इतनी सी दूरी भी मुश्किल, अब सहना जीवन के पथ पर,
नए नवल तुम फूल खिलाओ, बदल दो जीवन के पैमाने,
तुम और मैं की सारी दूरी, मिटा बनें विश्वास वो हम का,
तन और मन से एक हुए, रहा नही कारण निज गम का।
एक बाण काम फिर मारो, जीवन मधु गयन हो जाये,
हो मिलन ये जन्मों-जन्मों, पूर्ण लग्न के प्रण हो जाये,
नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले,
दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये।
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