हर ओर उदासी सी है
हर ओर उदासी सी है, तबियत भी बासी सी है।
तुझे ढूंढ ढूंढ थक कर के, ये रात भी जाती सी है।
कैसे समझाएं दिल को, कितना भरमाये दिल को,
तुम दूर गए यूं लगता, ज्यूँ मौत भी आती सी है।
घुटते अरमान विकल हैं, मधु के सब जाम विफल हैं,
जो किंचित न विचलित हों, यादों के घाम प्रबल हैं,
तुमसे मिलने को सदियों, हम जन्मों दौड़े आयें,
हर हाल मिलोगी तुम ही, मन में अरमान अटल हैं।
फिर भी एक दुख की छाया, मन को बहकाती सी है,
तुम दूर गए यूं लगता, ज्यूँ मौत भी आती सी है।
हर ओर उदासी सी है, तबियत भी बासी सी है।
तुझे ढूंढ ढूंढ थक कर के, ये रात भी जाती सी है।
जो गढ़ते थे बरसों से, वो मूरत जीवित पाई,
मचल गया जिसपर दिल, वो सूरत तुमने पाई,
मन में जब तेरी झांकी, जग का समझाना फांकी,
हर रात स्वप्न में तुम ही, हो अप्सरा बन आईं,
पर मिलन हमारा दुष्कर, दुनिया समझाती सी है
तुम दूर गए यूं लगता, ज्यूँ मौत भी आती सी है।
हर ओर उदासी सी है, तबियत भी बासी सी है।
तुझे ढूंढ ढूंढ थक कर के, ये रात भी जाती सी है।
है दूर बहुत मंजिल पर, सबको जाना ही होगा,
जो नियति ने लिख भेजा, उसको पाना ही होगा,
हाँ कर्म बदल सकता सब, दुनियां तो बस ये कहती,
है भाग्य प्रबल अंतिम, खुद को समझाना ही होगा,
जीवन की धारा बहती, हर पल जाती सी है
तुम दूर गए यूं लगता, ज्यूँ मौत भी आती सी है।
हर ओर उदासी सी है, तबियत भी बासी सी है।
तुझे ढूंढ ढूंढ थक कर के, ये रात भी जाती सी है।
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