आ जाओ बरस जाओ

आ जाओ बरस जाओ,
तुम मुझपर घटा बनकर,
क्यों प्यास बढ़ाती हो,
तुम मेरी नशा बनकर।


थी रात बहुत काली,
तुमसे ही हुई रौशन,
है थाम लिया तुमने,
रोया है जब भी मन।
हर सांस तुम्हीं से है,
हर आस में एक तुम ही,
हर चोट पर आती हो,
तुम मेरी दवा बनकर।
आ जाओ बरस जाओ,
तुम मुझपर घटा बनकर,
क्यों प्यास बढ़ाती हो,
तुम मेरी नशा बनकर।


थमती मेरी धड़कन को,
बंसी सी जुबा दे दो,
तुम मेरे ख्यालों को
अम्बर तो नया दे दो।
उम्मीद से ज्यादा तुम,
मुझमे ही समाते हो
बहलाती हो मन मेरा,
तुम गीत नया बनकर।
आ जाओ बरस जाओ,
तुम मुझपर घटा बनकर,
क्यों प्यास बढ़ाती हो,
तुम मेरी नशा बनकर।


होठों पर होठों को, 
बाहों को बाहों में,
कुछ ऐसे समाने दो,
हर दूरी मिटाने दो।
तुम हो जो मेरी दुनियां,
हर रंग सजी देखो,
ये प्रेम लुटाओ फिर,
तुम मेरी वफ़ा बनकर।
आ जाओ बरस जाओ,
तुम मुझपर घटा बनकर,
क्यों प्यास बढ़ाती हो,
तुम मेरी नशा बनकर।


ऐसा न हो साया ही

अपना भी ये खो जाए,

उम्मीद न टूटे तूँ,

आये या नहीं आये,

पर प्रेम के सागर का,

कोई छोर नही मिलता,

मुझे पार लगा जाओ,

बस मांझी मेरा बनकर,

आ जाओ बरस जाओ,

तुम मुझपर घटा बनकर,

क्यों प्यास बढ़ाती हो,

तुम मेरी नशा बनकर।

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