आंकड़ा सिर्फ आंकड़ा...

आप चाहे किसान आंदोलन के समर्थन में हों या विरोध में या आपका अधिकार है, लेकिन जिसको लगता है कि कोई कानून गलत है उनका अधिकार है कि वो उसका विरोध करें, और जो उनके इस विरोध करने का विरोध करता है वो देशद्रोही है, क्योंकि वो संविधान में दिये विरोध के अधिकार के खिलाफ है। यहां बात किसी एक के लिए नही सबके लिए है। 

तो आप विरोध करें सरकार का साथ दें, लेकिन किसी आंदोलनों के अधिकार का विरोध गलत है, क्योंकि जब आप किसी बात पर सरकार के विरुद्ध होंगे तो आपको समर्थन नही मिलेगा। जबकि आपको भले मुद्दों से सहमति न हों लेकिन लोग अपने नागरिक होने का फर्ज निभा रहे हैं इसके लिए तो उनका साथ देना चाहिए। वो लोकतंत्र के मंदिर में यज्ञ कर रहे है, यदि वोट देना लोकतंत्र में पूजा है तो ये आंदोलन ही लोकतंत्र में यज्ञ है और जब यज्ञ होता है तो वरदान मिलता है, देवता संतुष्ट होते हैं।

और रहा सवाल की राजा से सवाल कैसे पूछ सकते हैं तो पहली बात राजा देश नही होता और राजा से सवाल करना हर नागरिक का अधिकार है। और राजा की हैसियत क्या है लोकतंत्र में जनता मालिक है और मालिक सवाल नही पूछेगा तो नौकर उदंड हो जाएगा। और दूसरी बात हम सवाल तो अपने अपने भगवान राम से भी पूछते है कि क्यों सीता माता को निकाल दिया और उस कान्हा से भी कि माखनचोर रणछोड़ कान्हा तूने क्यों अपनी राधा को, क्यों अपनी माता यशोदा को इतने दुख में छोड़ दिया, क्या तू भगवान होकर राधा या पूरे गोकुल को द्वारिका नही ले जा सकता था? क्या तेरे में इतनी शक्ति नही थी? क्यों जब तूने पूरी मथुरा नगरी के लोगों को द्वारिका में बसा दिया तो गोकुल से ये सौतेला व्यवहार क्यों?? और ये सवाल हम इसलिए पूछते हैं क्योंकि हम उनको अपना मानते हैं, और जिनको अपना मानते है उन्ही से मांगते भी हैं हक से, अधिकार जताते है, चाहे वो लोकतंत्र में राजा हो या हमारे मन में भगवान।

और याद रखें, ये कोई सतयुग या त्रेता युग नहीं जहां राजा को जनता की सुधि हो। द्वापर में भी देखा राजा बनने के लिए क्या किया जा सकता है और ये तो कलयुग है यहां राजा सिर्फ राजा होता है अगर उसे लगेगा की उसके ही भक्तों को खत्म करके उसकी सत्ता बच सकती है तो वो 1 मिनट भी नही लगाएगा और अपने भी भक्तो के लाशों पर से सत्ता के सिंहासन पर आकर बैठ जाएगा, वो भक्तो क्या अपने सगों को भी नही छोड़ेगा, सत्ता का नशा राजनीति को नीचता को अगर आप नहीं जानते या नहीं जानना चाहते तो आपकी मर्जी। वैसे इंदिरा गांधी का आपातकाल जिसमे सभी विरोधियों पर देशद्रोह का कानून लगा दिया गया था क्या वो देशद्रोह था, और अबकी सरकार के अग्रजों द्वारा उनके ही बुजुर्ग के साथ किया गया व्यवहार याद है न। तो आपकी क्या औकात है राजा की नज़र में सोच लें। चाहे वो राजा BJP का हो या कांग्रेस का या किसी अन्य पार्टी का, राजा राजा होता है और जनता उसके लिए एक आंकड़ा बस एक आंकड़ा।

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