ख्याल तेरा गजब का है

ख्याल तेरा गजब का है जो,
मुझे मुझी से, चुरा रहा है।
तू कौन है क्या, है नाम तेरा,
तूहीं क्यों दिल को, यूँ भा रहा है।


वो ऐसी होगी वो वैसी होगी,
ख्याल दिल मे, मचल रहे थे।
तुम्हें जो देखा करार आया,
यूहीं हम तन्हा, भटक रहे थे।
तुम्हें मोहब्बत का गीत करके,
दिल ये पागल, बस गा रहा है।
तू कौन है क्या, है नाम तेरा,
तूहीं क्यों दिल को यूँ भा रहा है।


है शाम बहकी है रात महकी,
नजर तुम्हीं ने, फिराई होगी।
तुम्हारी झुकती नज़र से ही तो,
मधु ने मस्ती, चुराई होगी,
तभी तो मौसम ये बनके साकी,
दीवाना सबको, बना रहा है।
तू कौन है क्या, है नाम तेरा,
तूहीं क्यों दिल को, यूँ भा रहा है।


ये झुकती नज़रें, ये उड़ती जुल्फें,
कोई तूफानी है शाम जैसे,
तुम्हारे लव से गुमान होता, भरे है, 
मदिरा के जाम जैसे,
तुम्हारी उल्फत मिले न मुझको,
दिल को डर ये सता रहा है
तू कौन है क्या, है नाम तेरा,
तूहीं क्यों दिल को यूँ भा रहा है।


तुम्हारी जुल्फों में कट रही है,
ये रात पूनम, कभी न गुजरे
नशा लवों का जो छा गया है,
कभी खुमारी, न इसकी उतरे।
जमाना मुझको लुभाना चाहे,
मगर तुहीं एक, लुभा रहा है
तू कौन है क्या, है नाम तेरा,
तूहीं क्यों दिल को, यूँ भा रहा है।

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