फाल्गुन का मादक मस्त महीना

होली

फाल्गुन का मादक मस्त महीना,
फिर आया मन बहकाने को।
चल गोरी तैयार तू हो जा,
रंग खेलन, गले लगाने को।


चल भूल जगत के सब पहरे,
हम आज देर तक रंग खेलें।
है नीरस जीवन का हर पल आ,
प्यार का इसमें रस घोलें।
घर रोके या, जग रोके,
चल छोड़ के इस, अफ़साने को।
चल गोरी तैयार तू हो जा,
रंग खेलन, गले लगाने को।


उन्मुक्त सरिता सम यौवन,
मदमस्त चले तू छम, छम, छम।
सब भूल चली आ ओ सजनी,
हर ओर उड़े फाल्गुन के रंग।
मैं भूल गया तकरार तेरी सब,
तू आ फिर मुझे सताने को।
चल गोरी तैयार तू हो जा,
रंग खेलन, गले लगाने को।


मनमीत बने बस तू मेरी
प्रियतम तेरा बन जाऊंगा
जग चाहे जितना भी रोके,
तुझे प्रेम रंग, रंग जाऊंगा,
मैं ठान चुका इस फाल्गुन में,
जग से हर, रार उठाने को,
चल गोरी तैयार तू हो जा,
रंग खेलन, गले लगाने को।


तू डर न तेरे चेहरे पर ,
रंग लाल हरा मैं लगाऊंगा,
बस मन में तेरे नई उमंग,
उत्साह नया मैं जगाऊँगा,
उठ आँखों में भर ले सपने,
हंस सबको मुंह चिढ़ाने को।
चल गोरी तैयार तू हो जा,
रंग खेलन, गले लगाने को।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं