पिया मिलन

पिया मिलन

तू अमरलता के सम होगी, तू बात बात मुसकाएगी,
जब साजन होंगे साथ सखी, तू फूलों सी खिल जायेगी।
वो भी होगा एक रंग नया, जो तुझको जवां कर देगा और,
जो तेरा रहेगा जीवन भर, वो प्रेम का सागर पायेगी।

देखो-देखो ये शर्म-ओ-हया, जो आँखो, चेहरे पर छाती है,
तू हो जाती रंगीन बहुत, जब याद पिया की आती है।
सखियों ने दे-दे ताने और, ये प्रेम अगन है भड़का दी,
जो दूरी तेरी उनसे है, वो रात स्वप्न में बिसरा दी,
ये दूरी जो साँसों की है, दो दिन में वो मिट जायेगी,

सब छोड़, तोड़ जग के बंधन, तू पिया मिलन को जायेगी...
जब साजन होंगे साथ सखी, तू फूलों सी खिल जायेगी।

जो देखा नहीं था बचपन से, रौनक चेहरे पर आई है,
तेरे नैनों की मदहोशी, बन नशा जगत पर छाई है,
ऐसी भी क्या लगन सखी कि, दुनियां से यूँ दूर हुई हो,
ऐसा क्या जादू प्रियतम में, जो इतना मजबूर हुई हो,
लगता है कि रात आज की, नैनों-नैनो में जायेगी

कल साजन के घर को जाकर, तू स्वप्न संसार सजायेगी।
जब साजन होंगे साथ सखी, तू फूलों सी खिल जायेगी।

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