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प्रेम से ज्यादा पैसे का 292

प्रेम से ज्यादा पैसे का, जीवन पर अधिकार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार, लेन देन ही बन गई, जीवन का आधार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार। साल महीने छह हुए, होती है अब ऊब, जन्मों की कसमें कभी, खाई मिलकर खूब, अब तो जीवन लग रहा, हर पल है बेज़ार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार। मंजिल को जो साथ में, चले खींच नव लीक, सुगम हुआ जो रास्ता, अहम बना मनमीत, लघुता के अभिमान का, अम्बर-सा विस्तार  है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार। हाँ में हाँ कहते रहो, तब तक सबका साथ, मीत बनेंगे खास सब, अद्भुत-सा अहसास, ज्यों मतलब पूरा हुआ, बनी दोस्ती भार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार। इस दुनिया का खेल है, भावों से बस खेलना, उजियाले का पंथ दिखा, अँधियारे में ठेलना, मृदुल भावना तोलते, जैसे हो व्यापार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार। अपनी करनी की नहीं, पर करनी की नाप झूठा सबको कह रहे, झूठ को अपनी ढांप, सागर मध्य कह कश्ती मेरी, सबको रहे उतार, है मूरख जो ढूँढ रहा, इस दुनिया में प्यार।